नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के पार्टी में युवाओं को प्रोत्साहित करने और उन्हें आगे बढ़ाने की नीति के बावजूद कर्नाटक में जनता दल(एस) के साथ गठबंधन सरकार बनाने के फार्मूले को अंजाम तक पहुंचाने की रणनीति में पार्टी के दिग्गज नेता ही काम आए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, पार्टी महासचिव अशोक गहलोत, लोक सभा में पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे सहित कई वरिष्ठ नेता विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद से ही कर्नाटक में डटे रहे और भारतीय जनता पार्टी को हर मोर्चे पर घेरते रहे।
विधानसभा चुनाव के पूरे परिणाम आने से पहले ही रुझानों के आधार पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने जद-एस के साथ गठबंधन की सरकार बनाने की रणनीति बनायी और जद-एस के नेता एच डी कुमारस्वामी के नेतृत्व में गठबंधन सरकार बनाने के लिए विधायकों की सूची के साथ दावा पेश किया। राज्यपाल ने विपक्षी दलों के इस दावे को नजरअंदाज कर भाजपा को सबसे बड़ा दल होने का लाभ देते हुए उसके नेता बी एस येदयुरप्पा को सरकार के गठन के लिए आमंत्रित किया तो मामले को उच्चतम न्यायालय ले जाने की सारी रणीनति बनाने में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने अहम भूमिका निभायी। इन नेताओं ने इसके लिए न सिर्फ कर्नाटक में दिनरात एक कर दिया बल्कि न्यायालय में मामले की पैरवी करने में भी वरिष्ठ नेता ही काम आए।