नई दिल्ली। संसद की एक स्थायी समिति ने किन्नर (उभयलिंगी व्यक्ति) को एक सामान्य व्यक्ति की तरह मान्यता देने की सिफारिश करते हुए उन्हें विवाह, जीवन साथी बनाने और बच्चे गोद लेने का अधिकार प्रदान करने की सिफारिश की है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय से संबद्ध एक संसदीय समिति की पिछले सप्ताह संसद में पेश एक रिपोर्ट में कहा गया है कि किन्नरों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत हमेशा अपराधी करने का खतरा बना रहता है।
इसके प्रभाव को खत्म करने के लिए किन्नरों को जीवन साथी बनाने तथा शादी करने जैसे अधिकारों को मान्यता देनी चाहिए। समिति ने उभयलिंगी व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक 2016 पर विचार करते हुए ये सिफारिशें की है। समिति की सिफारिशों में कहा गया है कि किन्नर व्यक्तियों की शादी, जीवन साथी, तलाक एवं गोद लेने जैसे अधिकारों को उनके पर्सनल लॉ तथा अन्य कानूनों के द्वारा मान्यता देनी चाहिए।
रिपोर्ट में किन्नर व्यक्तियों की परिवारिक, व्यक्तिगत और सामाजिक समस्याओं पर व्यापक रुप से विचार किया गया है। समिति ने कहा कि किन्नरों को व्यापक तौर पर भेदभाव का सामना करना पड़ता है जो परिवार से शुरू होता है और समाज के प्रत्येक क्षेत्र में दिखाई पड़ता है। समिति के अनुसार उच्चतम न्यायालय ने एक आदेश में केंद्र और राज्य सरकारों से किन्नर व्यक्तियों को सामाजिक और शैक्षाणिक रुप से पिछड़े नागरिक मानने के लिए कदम उठाने, शैक्षिक संस्थाओं में प्रवेश तथा सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने को कहा है। सरकारों को इस संबंध में कदम उठाते हुए कानून बनाना चाहिए।