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दिल्ली MCD चुनाव में नहीं चली झाडू, AAP की हार के ये हैं कारण

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Apr 26 2017 2:47PM | Updated Date: Apr 26 2017 2:47PM
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 नई दिल्‍ली। दो साल पहले अरविंद केजरीवाल की जिस आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में ऐतिहासिक और अभूतपूर्व जीत हासिल करके दिल्ली से कांग्रेस और बीजेपी का सफ़ाया कर दिया था, आखिर 2 साल में ऐसा क्या हो गया कि खुद उसका ही सफाया हो गया।

आप के हार के ये है कारण :
- पीएम मोदी का विरोध- 
दिल्ली के अंदर साल 2013 से ही आम लोगों की भावना थी 'दिल्ली में केजरीवाल, देश में मोदी' यानी दिल्ली के लोग चाहते थे कि सीएम केजरीवाल हों, और पीएम मोदी हो। ये भावना सच हुई और 2014 में मोदी पीएम और 2015 में केजरीवाल प्रचंड बहुमत से सीएम बन गए। लेकिन उसके बाद से लेकर पंजाब में चुनाव हारने तक के दो साल में केजरीवाल ने मोदी पर जमकर हमले किये। हमले राजनीतिक के अलावा निजी भी होते चले गए। जिससे दिल्ली के लोगों के मन में अरविंद केजरीवाल की छवि मोदी विरोधी की बन गई जो दिल्ली के लोग शायद नहीं चाहते थे।
 
- EVM पर सवाल उठाए- 
अरविंद केजरीवाल ने EVM पर तो सवाल उठाया ही साथ ही चुनाव आयोग पर भी बीजेपी के लिए काम करने का आरोप लगा दिया। दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने 70 में से 67 सीट जीती तब तो अरविंद केजरीवाल ने कुछ नहीं कहा लेकिन जब वो पंजाब हारे और यूपी में बीजेपी ने 403 में से ऐतिहासिक 325 सीट जीती तब EVM से छेड़छाड़ बता दी केजरीवाल ने। यही नहीं आशंका इस बात की भी है कि कहीं EVM पर सवाल उठाने के चलते कहीं ऐसा तो नहीं हुआ कि केजरीवाल वोटरों ने निगम चुनाव में वोट डालने में दिलचस्पी ना दिखाई हो? 
 
- पंजाब चुनाव में हार-
 पंजाब चुनाव में पार्टी जहां अपनी जीत 100 फीसदी पक्की मान रही थी वहां वो मुख्य विपक्षी दल से आगे नही बढ़ पाई साथ ही वोट शेयर के मामले में वो तीसरे नंबर पर रही। इस नतीजे ने पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल ऐसा तोड़ा कि वो इसके बाद तुरंत होने वाले नगर निगम चुनाव के लिए अपनी पूरी ताकत से खड़ी नहीं हो पाई।
 
- LGvsAAP-
आम आदमी पार्टी के दिल्ली की सत्ता में लौटने के 3 महीने बाद से ही मई 2015 से जो एलजी और केंद्र सरकार के साथ केजरीवाल सरकार की तनातनी और लड़ाई शुरू हुई उसने अरविंद केजरीवाल की छवि 'बात बात पर लड़ने वाले' की बना दी। आये दिन केंद्र सरकार और एलजी पर हमले करना और बात बात पर दोषारोपण करना आम आदमी पार्टी के ख़िलाफ गया।
 
- पैसों की तंगी और कमजोर प्रचार- 
आम आदमी पार्टी इन चुनावों में पैसों की तंगी से जूझती रही है। आलम ये रहा कि शहर में होर्डिंग के मामले में बीजेपी छाई रही, दूसरे नंबर पर कांग्रेस और सबसे कम होर्डिंग आम आदमी पार्टी के थे। प्रचार कमज़ोर रहा। पार्टी ने अरविंद केजरीवाल की जनसभा भी मीडिया से कवर कराने में खास रुचि नही दिखाई। पूरे प्रचार के दौरान बीजेपी एजेंडा तय करके आप पर हमलावर रही और आप रक्षात्मक मुद्रा में रही।
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