नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारतीय अर्थव्यवस्था के वर्ष 2024-25 तक 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाये जाने को लेकर पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के आरोपों को खारिज करते हुये शुक्रवार को कहा कि यह सिर्फ साहूकारी और कुछ वर्षो में अर्थव्यवस्था के बढ़ने से संभव नहीं हो सकता है बल्कि इसके लिए महंगाई , मुद्रा विनिमय दर और राजस्व घाटे को नियंत्रण में रखना होता है। निर्मला सीतारमण ने आम बजट पर राज्यसभा में हुयी चर्चा का जबाव देते हुये कहा कि यदि यह सिर्फ अंकगणितीय गुना भाग होता होता तो कांग्रेस के 60 वर्षो के कार्यकाल में भी संभव हो गया होता है।
उन्होंने कहा कि सभी सामाजिक कल्याण कार्यो के आवंटन में बढोतरी के साथ ही वित्तीय अनुशासन का पालन करते हुये राजस्व घाटा को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की तुलना में 3 . 3 प्रतिशत पर रखते हुये अर्थव्यवस्था को गति देने के उपाय किये गये हैं। इसमें सभी वर्गों को ध्यान में रखा गया है। उन्होंने कहा कि 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का जो रोडमैप पेश किया गया है उससे अगले कुछ वर्षो के लिए विभिन्न क्षेत्रों में काम करने का लक्ष्य भी दिया गया है और इसको हासिल किये बगैर इस लक्ष्य को हासिल नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने चिदंबरम द्वारा आयकर और जीएसटी संग्रह के लक्ष्य को लेकर दिये गये आंकड़ों का तुलनात्मक व्याख्या करते हुये कहा कि पूर्व वित्त मंत्री ने सिर्फ व्यक्तिगत आयकर का उल्लेख किया है जबकि इसमें प्रतिभूति लेनदेन कर(एसटीटी) और कार्पोरेट कर भी शामिल होता है। इसके मद्देनजर बजट में जो लक्ष्य रखे गये हैं वे हासिल करने योग्य है।
इसी तरह से जीएसटी का उल्लेख करते हुये उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता की चिदंबरम ने जीएसटी राजस्व में 45 प्रतिशत की बढोतरी से जुड़े लक्ष्य के आंकड़े पेश किये जबकि बजट में इसमें सिर्फ 14.1 प्रतिशत की बढोतरी का लक्ष्य रखा गया है जिसे हासिल किया जा सकता है।