नई दिल्ली। पिछले कुछ सालों से इरफान पठान कड़े संघर्ष के दौर से गुज़र रहे हैं। पांच साल तक टीम इंडिया से बाहर रहने से लेकर आईपीएल 2017 की नीलामी में नज़रअंदाज़ होने के बावजूद उनके लिए और बुरा होना बाकी रह गया था।
कभी किसी ने ये नहीं सोचा था कि इरफान की घरेलू क्रिकेट असोसिएशन इस स्टार ऑलराउंडर के साथ हैरान कर देने वाला व्यवहार कर सकती है। रणजी ट्रॉफी के इस पूरे सीज़न के लिए इरफान को कप्तान चुना गया और फिर महज़ दो मैच खेलने के बाद उन्हें बडौदा रणजी टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
पूर्व भारतीय क्रिकेटर किरण मोरे ने कहा, 'ये बेहद दुखद है। बेहद दुर्भाग्यपूर्ण. मुझे कुछ नहीं कहना है। मैं अब बडौदा क्रिकेट से नहीं जुड़ा हूं लेकिन जो हुआ सब दुखद है'।
टीम से हटाए जाने के बाद पठान ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'गुड मॉर्निंग न कहना और अपने बॉस की हर बात न मानना आपके खिलाफ जा सकता है। लेकिन फिक्र न करें, अपना काम करते रहें।
जब न्यूज़18 ने पठान से इस बारे में संपर्क किया तो उन्होंने कुछ कहने से इंकार कर दिया। सिर्फ इतना कहा, 'मैं एक फाइटर हूं और आपना रास्ता निकाल ही लूंगा। ये ही ज़िंदगी है और ये ही क्रिकेट है।' वर्ल्ड टी20 फाइनल चैंपियन टीम के मैन ऑफ द मैच रहे पठान की आवाज़ से साफ लग रहा था कि जो हुआ वो इससे कितने आहत हैं।
आशीष नेहरा ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि भारत में 30 साल के ऊपर के क्रिकेटर्स के साथ बुरा व्यवहार किया जाता है। भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले कई ऐसे क्रिकेटर्स ने मुझसे आकर बात की। मैंने उनसे यही कहा कि अगर मैं 38 साल की उम्र तक खेल सकता हूं तो वो भी खेल सकते हैं। नेहरा, भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच होने वाले पहले टी20 मुकाबले के बाद संन्यास ले रहे हैं।
आशीष नेहरा को भी स्टेट सिलेक्टर्स कई बार निराश कर चुके हैं। शायद, पठान भी नेहरा के अनुभव से सीख सकते हैं।