नई दिल्ली। खेलों में आज के दौर में जहां 30 की उम्र पार करते ही खिलाड़ी के रिटायरमेंट पर बातें होने लगती हैं, वहीं एक दौर कर्नल सीके नायडू जैसे खिलाड़ियों का भी था। टीम इंडिया के करोड़ों फैंस में से कई भले उनके बारे में ज्यादा न जानते हों, लेकिन हम आपको बता दें कि कर्नल सीके नायडू ही वही शख्स हैं, जिन्हें टीम इंडिया के पहले कप्तान होने का गौरव प्राप्त है। यानी जो विरासत आज धोनी और विराट संभाल रहे हैं, उसकी नींव कर्नल सीके नायडू ने ही रखी थी। 31 अक्टूबर 1895 को महाराष्ट्र के नागपुर में उनका जन्म हुआ था।
मजेदार बात ये है, कि जिस उम्र में खिलाड़ी रिटायरमेंट लेते हैं, उस उम्र में कर्नल को टेस्ट टीम की कमान मिली। इंग्लैंड के खिलाफ जून 1932 में जब उन्होंने अपना पहला टेस्ट मैच खेला, तब उनकी उम्र 37 साल हो चुकी थी। उन्होंने भारत की ओर चार साल में कुल 7 टेस्ट मैच खेले। लेकिन ऐसा नहीं है कि वह इतना खेलते ही रुक गए. उन्होंने अपने जीवन में कुल 207 फर्स्ट क्लास मैच खेले।
कर्नल सीके नायडू ने अपना आखिरी फर्स्ट क्लास मैच 67 साल की उम्र में खेला। सात टेस्ट मैच में उन्होंने दो अर्धशतकों की मदद से 350 रन बनाए। नायडू तेज गेंदबाजी भी करते थे। उन्होंने भारत की ओर से 7 मैचों में 9 विकेट लिए।
संयोग से मिला कप्तानी का मौका
कर्नल का पूरा नाम कोट्टारी कनकैया नायडू था। टीम इंडिया की कप्तानी भी उन्हें संयोग से मिली थी। दरअसल 1932 में भारतीय टीम की कमान पोरबंदर के महाराज के हाथ में थी। लेकिन अंतिम क्षणों में उनकी तबीयत खराब हो गई और वह नहीं जा पाए, इसलिए टीम की कप्तानी करने का मौका कर्नल सीके नायडू को मिला।
लोकप्रिय ऐसे कि बच्चे क्लास छोड़ देते थे
सीके नायडू का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करिअर भले ज्यादा न चला हो, लेकिन उन्होंने फर्स्ट क्लास मैचों में अपने खेल से जमकर लोकप्रियता हासिल की थी। 1926-27 में उन्होंने मुंबई में 100 187 गेंदों पर 153 रनों की पारी खेली थी। इस पारी में उन्होंने 11 छक्के लगाए। इसमें से एक छक्का तो जिमखाना की छत पर जा गिरा। इस मैच के बाद उन्हें चांदी का बल्ला भेंट किया गया।