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Sport

जन्मदिन विशेष- मिलिए, 10 टेस्ट मैच खेलने वाले 'भारत के ब्रैडमैन' से

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 12 2017 1:52PM | Updated Date: Oct 12 2017 1:52PM
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नई दिल्ली। मुंबई के दिग्गज क्रिकेटर विजय मर्चेंट का घरेलू क्रिकेट में शानदार रिकॉर्ड रहा, लेकिन दुर्भाग्य से दूसरे विश्वयुद्ध ने उनका अंतरराष्ट्रीय करियर खत्म कर दिया। 12 अक्टूबर 1911 को पैदा हुए विजयसिंह माधवजी मर्चेंट ने 10 टेस्ट मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। 22 साल की उम्र में उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ 1933-34 में अपना पहला टेस्ट खेला था। वहां से वो 1951 तक इंटरनेशनल क्रिकेट खेलते रहे। विजय मर्चेंट को भारत का 'ब्रैडमैन' कहा जाता था. रिटायर होने के बाद विजय मर्चेंट चयनकर्ता और सेलेक्टर भी रहे। 27 अक्टूबर, 1987 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। आइए जानते हैं उनके बारे में कुछ दिलचस्प बातें:

फर्स्ट क्लास क्रिकेट में दूसरे सबसे बड़े बल्लेबाज
विजय मर्चेंट ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट ज्यादा नहीं खेला, लेकिन फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उनका दबदबा बना रहा। उन्होंने 150 मैचों में 71.64 की औसत से रन बनाए। इनमें 45 शतक, और 50 अर्धशतक शामिल हैं। औसत के मामले में वह डॉन ब्रेडमैन (95.14) के बाद वह दूसरे नंबर पर हैं।

रणजी ट्रॉफी का ब्रेडमैन
विजय मर्चेंट को यदि रणजी ट्रॉफी का ब्रेडमैन कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। मर्चेंट ने रणजी ट्रॉफी में 3639 रन 98.75की औसत से बनाए। वह सचिन तेंदुलकर से भी कहीं आगे हैं। सचिन इस टूर्नामेंट में 85.62 की औसत से 4281 रन बनाए हैं।

सीबी फ्राई ने की प्रशंसा
1936 में इंग्लैंड दौरे पर मर्चेंट ने 47की औसत से 282रन बनाए। वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने, पहले बल्लेबाजी करके सिक्योरिटी इरा की शुरुआत की। इसी साल उन्हें विज्डन 'क्रिकेटर ऑफ द ईयर' घोषित करते हुए सीबी फ्राई ने कहा था, ''चलो मर्चेंट को इंग्लैंड में शामिल करके एक ओपनर के रूप में ऑस्ट्रेलिया ले चलते हैं।'' 

दर्शकों का सम्मान
विजय मर्चेंट के मन में दर्शकों के प्रति बेहद सम्मान था. 1974-75 में वेस्ट इंडीज के खिलाफ मुंबई में मैच के दौरान दर्शकों के बीच को समस्या खड़ी हो गई। तत्कालीन मुख्यमंत्री ने विजय मर्चेंट को दर्शकों को संबोधित करने के लिए भेजा। दर्शकों की भीड़ एकदम शांत हो गई।

महात्मा गांधी और मर्चेंट
जब एमसीसी टीम ने 1933 में भारत का दौरा किया तो विजय मर्चेंट की बहन लक्ष्मी महात्मा गांधी का ऑटोग्राफ लेने के लिए उनके पास गई। संयोग से उन्होंने ऑटोग्राफ देने के लिए लक्ष्मी की किताब का जो पेज खोला उसमें 1933-34 की एमसीसी टीम के खिलाड़ियों के हस्ताक्षर थे। इस टीम के 17वें सदस्य के रूप में विजय मर्चेंट शामिल थे। गांधी ने इसी पेज पर ऑटोग्राफ दिए।

मर्चेंट हजारे प्रतियोगिता
दूसरे विश्वयुद्ध के के समय कोई अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेला जा रहा था, लेकिन भारत में घरेलू क्रिकेट चलता रहा। मर्चेंट और हजारे एक दूसरे के खिलाफ मैच खेल रहे थे। एक मैच में मर्चेंट ने 243 रन बनाए, जिसके जवाब में विजय हजारे ने 248 नाबाद रनों की पारी खेली। इसके बाद मर्चेंट ने रेस्ट के खिलाफ 250 रनों की पारी खेली। अगले सप्ताह हजारे ने इस रिकॉर्ड को तोड़ते हुए 309 रन बनाए, लेकिन मर्चेंट ने 359 रन बनाकर यह रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। इन दोनों के बीच की यह लड़ाई रणजी ट्रॉफी में भी जारी रही। जहां मर्चेंट ने 141 और हजार ने 101 रन बनाए।

शतक बनाने वाले सबसे उम्रदराज खिलाड़ी
टेस्ट में मर्चेंट ने 3 शतक लगाए, इनमें से दो शतक अंतिम दो पारियों में बने। मर्चेंट ने अपना आखिरी टेस्ट दिल्ली के फिरोजशाह कोटला में इंग्लैंड के खिलाफ खेला था। यह शतक पांच साल के बाद उस समय बने जब 1951 में विजय मर्चेंट 40 साल 21 दिन की उम्र में कोटला में खेल रहे थे। उन्होंने पहली पारी में 154 रन बनाए यह सबसे उम्रदराज खिलाड़ी द्वारा लगाया गया शतक था।
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