नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने BCCI के विवादास्पद पूर्व अध्यक्ष एन श्रीनिवासन और निरंजन शाह द्वारा BCCI की हाल ही में संपन्न विशेष बैठक में शामिल होने पर सवाल उठाते हुए कहा कि उसके द्वारा अयोग्य घोषित व्यक्ति इस संस्था की किसी भी बैठक में शामिल कैसे हो सकता है।
जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने पूछा, शीर्ष कोर्ट के आदेश के तहत अयोग्य घोषित व्यक्ति राज्य क्रिकेट एसोसिएशनों के प्रतिनिधि के रूप में नामित कैसे किया जा सकता है और BCCI की बैठक में शामिल कैसे हो सकता है।
पीठ ने श्रीनिवासन और निरंजन शाह को नोटिस जारी कर 24 जुलाई तक उनका जवाब मांगा है जब वह पूर्व सीएजी विनोद राय की अध्यक्षता वाली प्रशासकों की समिति द्वारा पेश चौथी स्थिति रिपोर्ट पर भी विचार करेगी।
प्रशासकों की समिति ने अपनी चौथी स्थिति रिपोर्ट में कहा है कि श्रीनिवासन और शाह को 'निहित स्वार्थों वाले अयोग्य पदाधिकारी 'के रूप में परिभाषित किया गया है जो लोढा समिति के सुधारों के अमल में अडंगा लगाने का प्रयास कर रहे हैं।
इस समिति की अर्जी में शिकायत की गई है कि अयोग्य घोषित किए गए ये दोनों तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन और सौराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन के नामित सदस्य के रूप में 26 जून को BCCI की विशेष बैठक में मौजूद थे।
श्रीनिवासन और शाह को जस्टिस आर एम लोढा के नेतृत्व वाली समिति की सिफारिशों के आधार पर हितों के टकराव अथवा 70 साल से अधिक उम्र होने के आधार पर BCCI अथवा राज्य क्रिकेट संगठनों का पदाधिकारी बनने के अयोग्य करार दे दिया गया था। लोढा समिति की सिफारिशों को शीर्ष कोर्टने स्वीकार कर लिया था।
कोर्टने इस बीच, BCCI के पूर्व अध्यक्ष अनुराग ठाकुर की अवमानना के मामले में बिना शर्त क्षमा याचना स्वीकार करते हुए इस मामले को खत्म कर दिया। कोर्ट ने ठाकुर के खिलाफ इस साल दो जनवरी को एक हलफनामे में गलत जानकारी देने के कारण अवमानना कार्यवाही शुरू की थी।
इस बीच, कोर्ट ने राम चन्द्र गुहा और विक्रम लिमये को प्रशासकों की समिति से आज मुक्त कर दिया क्योंकि इन दोनों ने इसमें काम करने में असमर्थता व्यक्त करते हुए समिति से इस्तीफा दे दिया था।
इन रिक्त पदों पर नई नियुक्तियों के बारे में कोर्ट ने सीलबंद लिफाफे में नए नाम मांगे हैं जिन पर पांच सितंबर को विचार किया जाएगा।