नई दिल्ली। वर्ल्डकप विजेता कप्तान और महान ऑलराउंडर कपिल देव मोम के बने अपने पुतले का अनावरण कर बेहद रोमांचित हो गए और उन्होंने कहा कि मैंने कभी ऐसा सोचा भी नहीं था कि मेरा भी ऐसा पुतला बनेगा।
कपिल का मोम का पुतला दिल्ली स्थित मैडम तुसाद संग्रहालय में रखा जाएगा जिसका इस वर्ष बाद में अनावरण होगा। यह विश्व प्रसिद्ध मैडम तुसाद संग्रहालय का 23वां संग्रहालय होगा। यह पहली बार है जब विश्व प्रसिद्ध क्रिकेटर कपिल का मोम का पुतला बनाया गया है जिन्होंने भारत को 1983 में अपनी कप्तानी में पहली बार विश्व चैंपियन बनाया था।
58 वर्षीय कपिल के लिए यह उनके जीवन का एक और यादगार क्षण था जब वह खुद अपने मोम के पुतले का अनावरण कर रहे थे। कपिल इस समय खासे रोमांचित नजर आए। उन्होंने पुतले पर पहनाए गए स्वेटर को थोड़ा खींचकर देखा और फिर बालों पर हाथ फेरते हुये बोले यह तो मेरे भाई जैसा लगता है।
कपिल के इस मोम के पुतले के लिए उनका गेंदबाजी पोज रखा गया है जिसमें वह बस अपने एक्शन के आखिरी पोज में हैं जब वह गेंद को रिलीज करते हैं। उनका एक हाथ घूमकर उनके चेहरे के पास है और उनकी आंखें बल्लेबाज को देख रही हैं। पोज के समय उनके दोनों पैर हवा में हैं और वह बस गेंद फेंकने ही जा रहे हैं।
शुक्रिया मैडम तुसादः कपिल
पूर्व भारतीय कप्तान ने कहा" मैं खुद को बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूं। इसके लिए वह मैडम तुसाद के शुक्रगुजार हैं। मैंने कभी सोचा नहीं था कि मेरे जीवन में ऐसा क्षण आयेगा। मुझे वाकई बड़ा अच्छा लग रहा है और मैं इस पुतले और प्रशंसकों के साथ तस्वीरें खिंचवाना चाहूंगा।
कपिल का यह पुतला दिल्ली के संग्रहालय में सचिन तेंदुलकर, लियोनल मैसी और डेविड बेकहम जैसे सितारों के साथ रखा जाएगा। इस अवसर पर मौजूद मर्लिन एंटरटेनमेंट्स के महाप्रबंधक और निदेशक अंशुल जैन ने बताया कि इस संग्रहालय में कुल 50 पुतले रखे जाएंगे जो ग्लोबल आइकन के होंगे। इन पुतलों में अमिताभ बच्चन, अनिल कपूर और शाहरूख खान भी शामिल होंगे।
उतरवाए मेरे कपड़े
जब इस मोम के पुतले को बनाया जाना था तब कपिल का करीब 200 अलग-अलग कोणों से नाप लिया गया था। कपिल से इस अनुभव के बारे में चुटकी लेते हुए बताया, “पहले तो समझ नहीं आया कि ये लोग ऐसा करेंगे कैसे और जब नाप लेने का काम शुरू हुआ तो इन्होंने मेरे कपड़े तक उतरवा दिए। अब मेरा एक्शन सबके सामने है और इसे देखकर मैं भी हैरान हूं। इसकी खूबसूरती बेमिसाल है और मैं इस प्रयास के लिए मैडम तुसाद से जुड़े सभी कारीगरों को बधाई देता हूं।