मुंबई। भारतीय टीम के महान बल्लेबाज रहे सचिन तेंदुलकर ने एक बड़ा खुलासा किया है। अपने संघर्ष के बारे में सचिन ने बताते हुए कहा है कि सलामी बल्लेबाज के तौर पर उन्हें मिन्नतें करनी पड़ी थीं तब जाकर उन्हें ओपनिंग करने को मिलता था। बता दें कि सचिन ने वनडे करियर में 340 बार ओपनिंग की है।
वनडे में अपने पहले शतक के लिए सचिन तेंदुलकर को लंबा इंतजार करना पड़ा। 1989 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू करने वाले तेंदुलकर का वनडे में पहला शतक सितंबर 1994 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आया था। सचिन ने ये शतक टीम के लिए ओपनिंग करते हुए लगाया था। खास बात ये है कि 1994 से पहले तक सचिन मिडिल ऑर्डर में बल्लेबाजी करते थे। 1994 में पहली बार न्यूजीलैंड दौरे पर उन्होंने टीम के लिए ओपनिंग की। हालांकि सचिन को ओपनिंग इतनी आसानी से नहीं मिली। इसके लिए उन्हें खुद मैनेजमेंट से अपील करनी पड़ी। एक कार्यक्रम में सचिन ने पहली बार इस बारे में बताया।
जब 1994 में मैंने भारत के लिए ओपनिंग शुरू की, उस वक्त तक हर टीम की रणनीति होती थी कि शुरू में विकेट बचाए जाएं। मैंने ओपनिंग में जो किया वो कुछ हटकर था। मुझे लगा कि मैं आगे आकर विरोधी गेंदबाजों पर हमला कर सकता हूं। लेकिन मुझे इसके लिए काफी हाथ जोड़ने पड़े कि मुझे एक मौका दे दो। अगर में मैं नाकाम हुआ तो मैं दोबार नहीं आऊंगा। सचिन ने बताया कि उन्हें मौका दिया गया और उस पहले ही मौके का उन्होंने फायदा उठाया और 49 गेंद में 82 रन बना डाले। उसके बाद जो हुआ वो इतिहास बन गया।
उस एक मौके में मैंने 49 गेंद में 82 रन बनाए। मुझे दोबारा उनसे जाकर नहीं पूछना पड़ा कि मुझे एक और मौका मिलेगा या नहीं। वो कह रहे थे कि जाओ ओपनिंग करो। सचिन ने कहा कि उनके कहने का मतलब सिर्फ यही है कि नाकामी से डरना नहीं चाहिए। न्यूजीलैंड के खिलाफ 27 मार्च 1994 को ऑकलैंड में हुए उस मैच में सचिन ने सिर्फ 49 गेंद में 82 रन ठोक डाले। अगले ही मैच में सचिन ने एक और फिफ्टी जड़ी औऱ 63 रन बनाए। अपने करियर में सचिन ने 340 वनडे पारियों में ओपनिंग की और 15000 से ज्यादा रन बनाए। इस दौरान सचिन ने 45 शतक और 75 अर्धशतक लगाए।