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इतने हजार करोड़ रुपए का होगा भारतीय एक्सप्रेस उद्योग

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Apr 12 2018 9:08PM | Updated Date: Apr 12 2018 9:08PM
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नई दिल्ली। देश में ई कार्मस में आयी तेजी के बल पर भारतीय एक्सप्रेस उद्योग वार्षिक 17 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है और वर्ष 2023 तक इसके 48,000 करोड़ रुपए तक पहुंचने की संभावना है। बाजार अध्ययन करने वाली कंपनी डेलोइट के एक अध्ययन रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने 'इंडियन एक्सप्रेस इंडस्ट्री- 2018 ए मल्टी-मॉडल प्ले इन बिल्डिंग द इकोसिस्टम' नामक जारी इस रिपोर्ट को जारी करते हुये कहा कि भारत में व्यापार एवं अर्थव्यवस्था के विकास के लिए एक्सप्रेस उद्योग एक प्रमुख इनेबलर है। लॉजिस्टिक्स में आसानी जैसे कारक देश में निवेश को आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे और बदले में इससे विनिर्माण से जुड़े कई उद्योगों के विकास को भी सहयोग मिलेगा।

 
रिपोर्ट में कहा गया है कि सीमा पार व्यापार घरेलू ई-कॉमर्स के विकास के बल पर एक्सप्रेस उद्योग में दो अंकों की वृद्धि जारी है। आने वाले वर्षाें में छोटे एवं मध्यम बी2बी सेगमेंट से भी उल्लेखनीय मांग देखने को मिलेगी।  रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि नये बिजनेस मॉडल और एसएमई में हो रही बढ़ोतरी से अर्थव्यवस्था आगे बढ़ रही है और भारत के लॉजिस्टिक प्रदर्शन को बेहतर बनाने पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। यह भी कहा गया है कि इस इंडस्ट्री में पिछले पांच सालों में 15 प्रतिशत की दर से वृद्धि हासिल की है। 
 
रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2017 में इस उद्योग के 22,000 करोड़ रूपये तक पहुंचने का अनमान है। इस अवधि में  प्रत्यक्ष करों के अलावा, एक्सप्रेस उद्योग का योगदान सेवा कर में 3,000 करोड़ रूपये और सीमा शुल्क में 2,000 करोड़ रुपये का रहा है। इसमें कहा गया है कि ई-रिटेल इस उद्योग के लिए विकास का प्रमुख संचालक होगा और हर दिन इस क्षेत्र से 13 लाख से भी ज्यादा शिपमेंट्स की शिंिपग की जाती है। भारतीय एक्सप्रेस उद्योग में वित्त वर्ष 2017 में इसका योगदान 5,000 करोड़ रुपये का रहा। इस क्षेत्र की विशिष्टता ने इस उद्योग में कई तरह के नये ट्रेंड शुरू किये, जिससे पारंपरिक एक्सप्रेस परिचालनों को चुनौती मिल रही है। इसमें डिलीवरी के वैकल्पिक तरीके, ग्राहकों को ध्यान में रखकर की जाने वाली डिलीवरी, एयर एक्सप्रेस से सरफेस एक्सप्रेस का रुख करना, क्षेत्रीय गतिविधियों में बढ़ोतरी, तकनीक को अपनाना और दूर-दराज के इलाकों तक विस्तार करना शामिल हैं।
 
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