26 Apr 2024, 21:50:30 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
Business

आरबीआई के फैसले से ब्याज दरों में राहत की उम्मीद टूटी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Apr 5 2018 3:44PM | Updated Date: Apr 5 2018 3:44PM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

मुंबई। रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने विभिन्न कारणों से आने वाले समय में महँगाई को लेकर बनी अनिश्चितता के मद्देनजर नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है जिससे आवास और वाहन ऋण सस्ता होने की उम्मीद लगाए लोगों को निराशा हाथ लगी है। केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति की चालू वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति बैठक के बाद गुरुवार को आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने बताया कि मुख्य नीतिगत दर रेपो रेट छह प्रतिशत पर स्थिर रखी गई है। समिति की यह लगातार चौथी बैठक है जब दरों में बदलाव नहीं किया गया है। इससे पहले अगस्त 2017 में रेपो दर 0.25 प्रतिशत घटायी गयी है। साथ ही रिवर्स रेपो दर 5.75 प्रतिशत तथा मार्जिनल स्टैंंिडग फशिलिटी और बैंक रेट 6.25 प्रतिशत पर स्थिर रखी गई है। समिति के छह में से पाँच सदस्यों ने दरें स्थिर रखने और एक ने दर बढ़ाने के पक्ष में मतदान किया था। इसके साथ ही समिति ने चालू वित्त वर्ष के विकास दर का अनुमान 7.2 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.4 प्रतिशत कर दिया है। उसने 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष की चौथी तिमाही का खुदरा महँगाई दर अनुमान भी 5.1 प्रतिशत से घटाकर 4.5 प्रतिशत कर दिया है। 

 
समिति के बयान में कहा गया है कि सब्जियों की कीमतों में गिरावट के कारण फिलहाल खुदरा महँगाई दर में नरमी बनी हुई है, लेकिन आने वाले समय में मुद्रास्फीति को लेकर कई अनिश्चितताएँ हैं। खरीफ मौसम से न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने के फॉर्मूले में बदलाव का असर मुद्रास्फीति पर देखा जा सकता है, हालाँकि कितना असर होने यह आने वाले महीनों में ही पता चल सकेगा। इसके अलावा कई राज्यों सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें केंद्र सरकार द्वारा लागू किये जाने के काफी बाद आवास भत्ते बढ़ाये हैं जिनसे महँगाई दर बढ़ने की आशंका है। 
 
इसके अलावा सरकार के वित्तीय अनुशासन के मोर्चे पर लक्ष्य से चुकने की स्थिति में भी महँगाई बढ़ने की आशंका जताई गयी है। राज्यों द्वारा राजस्व खर्च बढ़ाने की प्रतिबद्धता और भविष्य में उद्योगों की लागत तथा उत्पादों की कीमत बढ़ने से भी महँगाई बढ़ने की संभावना है। अंतर्राष्ट्रीय मार्चे पर कच्चा तेल की कीमतों में वर्तमान में जारी उथल-पुथल, चीन और अमेरिका के बीच 'व्यापार युद्ध' और पूँजी बाजारों की अनिश्चितता पर भी ंिचता जताई गई है। केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक नीति को लेकर अपना रुख निरपेक्ष रखा है। इसका मतलब यह है कि आने वाले समय में नीतिगत दरों में वृद्धि और कमी दोनों के विकल्प खुले रखे गये हैं। 
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »