वॉशिंगटन। अमेरिका ने भारत की आईटी क्षेत्र की कंपनियों टीसीएस और इन्फोसिस पर एच-1बी वीजा नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। पिछले सप्ताह व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने कहा कि इन कंपनियों ने कई आवेदन भेजे, ताकि लॉटरी ड्रॉ में इनके लिए वीजा पाने की संभावना ज्यादा प्रबल हो सके। अधिकारी ने कहा, आप इनका नाम जानते हैं, लेकिन सबसे अधिक एच-1बी वीजा पाने वाली कंपनियां टीसीएस, इन्फोसिस और कॉग्निजेंट जैसी कंपनियां जितना वीजा पाती नहीं, उससे ज्यादा आवेदन करती हैं। जब उनसे पूछा गया कि भारतीय कंपनियों का नाम क्यों लिया जा रहा है? इस पर व्हाइट हाउस अधिकारी ने कहा कि टीसीएस, इन्फोसिस और कॉग्निजेंट एच-1बी वीजा पाने वाली शीर्ष कंपनियां है।
कम सैलरी देने का आरोप
अधिकारी ने कहा, ये तीन कंपनियां अपने कर्मचारियों को 60000 से 65000 अमेरिकी डॉलर देती हैं। उन्होंने कहा कि सिलिकन वैली स्थित मध्यम दर्जे की कंपनियों के इंजीनियर को भी 150000 अमेरिकी डॉलर सैलरी दी जाती है। उन्होंने कहा, कॉन्ट्रैक्ट कराने वाली कंपनियां स्किल्ड एम्प्लॉयर नहीं होती और ये अक्सर एंट्री लेवल पोजिशन के लिए कर्मचारियों का इस्तेमाल करती हैं, जिससे वीजा का बड़ा हिस्सा इनको मिल जाता है और यह बात पब्लिक रिकॉर्ड में भी है। वहीं, इस पर इन तीन कंपनियों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
लॉटरी से देते हैं वीजा
अधिकारियों ने बताया कि एच-1बी वीजा लॉटरी के तहत दी जाती है और वीजा पाने 80 प्रतिशत कर्मचारियों को औसत से भी कम सैलरी दी जाती है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी कर्मचारियों का स्थान लेने के लिए मार्केट रेट से कम सैलरी देकर कर्मचारियों को लाया जाता है जो कि वीजा कार्यक्रम की नीतियों का उल्लंघन है।