महासमुन्द। समाजवादियों एवं कांग्रेस के दबदबे वाले छत्तीसगढ़ के महासमुन्द जिले में राज्य के आस्तित्व में आने के बाद 2003 में हुए पहले चुनावों में भाजपा को पहली बार सफलता हासिल हुई थी। महासमुन्द विधानसभा बनने के बाद काफी समय तक कांग्रेस के कब्जे में ही रहा। 2003 में यहां के पहले भाजपा विधायक पूनम चंद्राकर हुए।पहले महासमुन्द विधानसभा में खल्लारी, बसना, सरायपाली भी शामिल था। 1950 में महासमुन्द विधानसभा बना और इसके 17 साल बाद खल्लारी, बसना तथा सरायपाली को विधानसभा का दर्जा मिला। खल्लारी, बसना और सरायपाली 1977 में विधानसभा के रूप में अस्तित्व में आए।
महासमुन्द में 1950 में हुए विधानसभा चुनाव में प्राणनाथ गाड़ा (समाजवादी), 1955 में मदनलाल बागड़ी समाजवादी, 1960 में अयोध्या प्रसाद शर्मा समाजवादी, 1965 में नेमीचंद श्रीमाल नेशनल कांग्रेस से जीतकर विधायक बने। महासमु्द विधानसभा से 1970 में समाजवादी पुरूषोत्तम लाल कौशिक, 1975 में याकुब राजवानी, 1980 में कांग्रेस से मकसुदन लाल चन्द्राकर, 1985 में एक बार फिर मकसुदन लाल चन्द्राकर, 1990 में दाऊ संतोष अग्रवाल, 1993 में कांग्रेस से अग्नि चन्द्राकर, 1998 में पुन: अग्नि चन्द्राकर विधायक बने। वर्ष 2008 में फिर से नेशनल कांग्रेस से अग्नि चन्द्राकर विधायक बने और फिर वर्ष 2013 के चुनाव में निर्दलीय के रूप में मैदान में उतरे डॉ. विमल चोपड़ा यहां के विधायक बने।