जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के राजकीय पशु वनभैंसे की वंशवृद्धि की सरकारी कोशिशों के बीच बीजापुर जिले के सेंड्रा के जंगल में वन भैंसों का झुंड देखा गया है। अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक वी. श्रीनिवास राव ने बताया कि वनभैंसों का यह झुंड बीजापुर के सेंड्रा इलाके में कक्ष क्रमांक 658 और 659 में विचरण करते मिला है। यह शुद्ध नस्ल का वनभैंसा है। विभाग ने इस क्षेत्र में एक दलदली जगह पर कैमरे लगवाए थे। जिससे वन भैंसों द्वारा यहां पानी पीने आने की जानकारी मिली। उन्होंने बताया
कि इस इलाके में इंद्रावती नदी के उस पार महाराष्ट्र के कोलामारका रेंज में भी वनभैंसों का झुंड है। इस आम दिनों में भी देखा जा सकता है। बस्तर और महाराष्ट्र में पाया जाने वाला वनभैंसा एक ही नस्ल का है। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र के सीमावर्ती इलाकों में जंगली जानवरों की मौजूदगी को लेकर अच्छी खबरें हैं। वन विभाग ने पशुओं की गणना के लिए यहां ट्रैप कैमरें लगा रखे हैं, जिनमें अलग-अलग छह तरह के जानवरों की तस्वीर कैद हुई है।
वन अधिकारियों के मुताबिक झुंड में वन भैंसों की संख्या 10 से ज्यादा हो सकती है, लेकिन 1 फरवरी को कैमरे की जद में आने वाले भैंसों की संख्या 6 है। इनके अलावा यहां नीलगाय, चीतल, सांभर, बारहंसिगा, मोर और शाही की तस्वीर भी पहली बार ट्रैप कैमरे में कैद हुई है। इससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि वन्यप्राणियों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। उन्होंने बताया कि वनभैंसे की वंशवृद्धि के लिए कुटरू के समीप ब्रींडिग सेंटर बनाने की योजना पर 3 साल पहले काम शुरू हुआ था, लेकिन अब तक यह पूरा नहीं हो सका है। ग्रामीणों ने इस ब्रींडिग सेंटर पर आपत्ति की है, जिसके चलते इसका काम रूका हुआ है।