कोण्डागांव। छत्तीसगढ के बस्तर संभाग के कोण्डागांव जिला के बारदा नदी के उस पार के गावों में विकास के नाम पर महज प्राथमिक और मिडिल स्कूल है। इसके बाद हाईस्कूल व हायर सेकंडरी की पढ़ाई के लिए 80 से ज्यादा बच्चों को इसी लकड़ी के पुल से आवाजाही करनी पड़ रही है। इसके लिए उन्हें हर दिन 15 किलोमीटर की दूरी तय करके धनोरा हाईस्कूल तक जाना पड़ता है। बच्चे भी बरसात के दिनों में पुल पार नहीं कर पाते हैं, जिससे कई दिन तक वे स्कूल नहीं जा पाते हैं। शिक्षक अजय व ब्रह्मानंद लहरे ने बताया इस लकड़ी के पुल से गुजरने में बहुत डर लगता है। हमें तैरना भी नहीं आता है, लेकिन शिक्षक की ड्यूटी पूरी करने के लिए जान जोखिम में डाल आवाजाही कर रहे हैं।
छात्र दिनेश, धारसुराम मंडावी, रमेश, बीरेंद्र कहते हैं नदी बहुत बड़ी भी नहीं है, यही वजह कि थोड़ी सी बरसात में ही इसमें बाढ़ आ जाती है और नदी पार करना मुश्किल होता है। ऐसे में कई दिनों तक उनका स्कूल जाना बंद हो जाता है। पानी कम होता है तो पार होते हैं मगर हमेशा मन में गिरने का डर बना रहता है।
बरसात के दिनों में बाढ़ आने से कई दिनों तक उनके गांव का संपर्क जिला मुख्यालय से कट जाता है। ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधा मिलती है और न ही बीमार होने से इलाज हो पाता है। ऐसे में ग्रामीण उपचार के लिए झाड़-फूंक का सहारा लेते हैं, वहीं दूसरी ओर गर्भवतियों को कई बार घर पर ही प्रसव करवाना पड़ता है।
थाना प्रभारी टामेश्वर चौहान ने कहा ग्रामीणों ने समस्या से निजात पाने के लिए बारदा नदी पर लकड़ी का पुल तैयार कर लिया है। बताया गया है कि ईरागांव से कोनगुड़ तक पीएमजेएसवाय योजना के तहत 35 किमी की सड़क का निर्माण किया जा रहा है। पुल बनाने की जिम्मेदारी इसी विभाग को दी गई थी जो अब तक पूरी नहीं हो सकी है। विभाग के कार्यपालन अभियंता आरके गर्ग ने बताया कि ईरागांव के पास बारदा नदी पर पुल बनाने के लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। वहां से अभी तक स्वीकृति नहीं मिली है।
वहीं कलेक्टर समीर बिश्नोई ने बताया कि पुल निर्माण की मंजूरी के लिए प्रस्ताव केंद्र को भेजा जा चुका है। जैसे ही मंजूरी मिलती है इस काम को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करवाया जाएगा।
(PB News Service)