छत्तीसगढ़ में पिछले तीन दिनों से हो रही बारिश और ओलावृष्टि की वजह से कश्मीर और शिमला का नजारा देखने को मिल रहा है। यहां खेतों और सड़कों पर चारों तरफ बर्फ ही बर्फ नजर आ रहा है। इस नजारे का कुछ लोग लुत्फ उठा रहे हैं। वहीं, इस बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों की कमर तोड़कर रख दी है। दरअसल, भारी ओलावृष्टि की वजह से किसानों की फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गई है। खेतों की हालत देखकर कई किसान रोते नजर आए। कुदरत की मार से बेहाल किसान अब मदद के लिए सरकार के आसरे बैठे हैं।
पेंड्रा जिले में जमकर हुई ओलावृष्टि से पेंड्रा जलेश्वर अमरकंटक मार्ग का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। बीते शाम को भीषण ओलावृष्टि में चारकोल की सड़क सफेद बर्फ की चादर से ढक गई। सड़क के चारों ओर दूर-दूर तक ओलावृष्टि से जमीन सफेद चादर से ढक गई। इस दौरान अमरकंटक आने-जाने वाले पर्यटक एवं तीर्थ यात्रियों ने इस नजारे का जमकर लुफ्त उठाया। लोग इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर खूब वायरल कर रहे हैं। अचानक हुई ओलावृष्टि से पैदा हुए हालात की कुछ लोग कश्मीर और शिमला से जोड़कर वीडियो वायरल कर रहे हैं। लेकिन इसका सबसे दुखद पहलू ये है कि इस ओलावृष्टि ने किसानों की कमर तोड़कर रख दी है।
छत्तीसगढ़ का बेमेतरा कृषि प्रधान जिला है। यहां बड़े पैमाने पर फसल के साथ-साथ सब्जियां भी उगाई जाती है। ऐसे में बेमौसम बरसात में जिले के किसानों को चौतरफा नुकसान पहुंचा है। फसल के साथ-साथ सब्जियां भी पूरी तरह से खराब हो गई है। फसलों में सबसे ज्यादा नुकसान चना और गेहूं को हुआ है। चने की जो फसल काटकर खेतों में ही पड़े हैं। वह काले पड़ने के साथ ही खराब हो गए हैं।
बारिश और ओलावृष्टि से हुए नुकसान को बयान करते हुए एक किसान चन्द्रिका वर्मा ने बताया कि चने के साथ-साथ गेहूं और मसूर की फसल भी खराब हो गई है। हालत यह है कि मसूर की फसल अब अंकुरित होने लगी है। किसान लगातार इसको लेकर सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि जल्द से जल्द उनके फसलों का आकलन किया जाए और उचित मुआवजे का प्रकरण तैयार किया जाए।
दरअसल, जिले में पिछले 24 घंटे के दौरान ही 40 एमएम बरसात हुई है। वहीं, पिछले तीन दिनों की बारिश को जोड़ दिया जाए, तो लगभग 74 मिलीमीटर वर्षा जिले में हो चुकी है। इसके साथ ही मौसम विभाग ने एक बार फिर बुधवार के लिए बारिश का अलर्ट जारी किया है। इसको लेकर किसान सबसे ज्यादा परेशान हैं। वहीं, कृषि अधिकारी मोरध्वज डड़सेना का कहना है कि किसानों को अपने फसल के नुकसान के लिए 72 घंटे के अंदर बीमा कंपनी को सूचित करना पड़ता है। या इसके अलावा वह स्थानीय कृषि विस्तार अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं। साथ ही उन्होंने मोबाइल 7030053232 नंबर और टोल फ्री नंबर 18002095959 भी जारी किए हैं। किसान इन नंबरों पर भी अपने नुकसान की सूचना दे सकते हैं।
मौसम के बिगड़े मिजाज से कबीरधाम जिले में भी तीन दिनों से आंधी तूफान के साथ जमकर बारिश व ओला वृष्टि हुई, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है। किसानों के उद्यानिकी फसल पपीता, केला औऱ टमाटर के साथ रबी की फसलें चना, गेहूं और दूसरे दलहन तिलहन फसलें तेज बारिश व ओला की चपेट में आने से बर्बाद हो गई है। अब किसान मुआवजे की मांग को लेकर बीमा कंपनी व कृषि विभाग के चक्कर काट रहे हैं। किसानों का आरोप है कि बीमा कंपनी व कृषि विभाग सहित राजस्व विभाग के अधिकारी उनकी सुध नहीं ले रहे हैं और अधिकारी शिकायत करने की बात कहकर टाल मटोल कर रहे हैं। हालांकि, कृषि विभाग के अधिकारी ओलावृष्टि से नुकसान का सर्वे करने की बात कहते हुए कुछ जगहों पर मौके में जाकर रिपोर्ट तैयार करते हुए देखे जा रहे हैं।
बेमौसमी बारिश की वजह से जनजीवन भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इससे सबसे ज्यादा जो वर्ग प्रभावित हुआ है, वह है किसान। बारिश की वजह से किसानों को चौतरफा नुकसान हुआ है। अब देखने वाली बात है कि किसानों को हुए नुकसान का मुआवजा मिलता है। या पिछली बार की तरह सिर्फ कागजी कार्रवाई खानापूर्ति कर ली जाएगी।