पैरेंट्स के मन में आजकल यही सवाल बना रहता है कि वे किस तरह से अपने बच्चों की नजरों में बेस्ट मम्मी-पापा बन सकें। माडर्न दौर में इस सवाल के चिंतन के कई कारण हैं, जिसमें उनके बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार से लेकर उनके जीवन को सुदृढ़ व सफल बनाने का अर्थ शामिल है। एक समय था जब बच्चे मां-बाप से कुछ बोलने से पहले कई बार सोचते थे, यहां तक कि वे अपनी व्यथा साझा तक नहीं करते थे।
बदलते परिवेश में अब पालक भी इसे ध्यान में रखते हुए अपने व्यवहार में बदलाव ला रहे हैं। खुले व्यवहार से बच्चे अपनी परेशानियां बेहिचक पालकों से साझा करते हैं, जिससे उन्हें समझकर निदान करना काफी हद तक सहज हो जाता है। इसके साथ ही पालक अब बच्चों से हंसी-मजाक करने में भी नहीं हिचकिचाते, जिससे सहज वातावरण का एक सेतु निर्मित होता है और बच्चे भी खुलकर अपने-आपको प्रस्तुत करते हैं।
संस्कार के साथ कॅरियर पर भी फोकस
आजकल के बदलते लाइफ स्टाइल में बच्चों के साथ इन्वाल्व हो पाना काफी मुश्किल कार्य है। यदि आप उनके साथ समय बिताते हैं तो जहां एक ओर आपकी सारी मानसिक व्यथाएं दूर होंगी, वहीं बच्चों के व अपने बिहेवियर चेंजिंग को समझ सकेंगे। पुराने समय में पैरेंट्स के लिए डिसीप्लिन एक बड़ा कारक हुआ करता था, जबकि आज हम अंडरस्टैडिंग पर बिलीव करते हैं। पहले जहां पालकों का फोकस संस्कार पर रहा करता था, वहीं नए दौर में संस्कार के साथ बेहतर फ्यूचर देना भी प्राथमिकता बन गई है।
रचनात्मकता होना है जरूरी
पैरेंटिंग एक्सपर्ट्स के अनुसार पालकों में रचनात्मकता का होना अत्यंत आवश्यक है। समय के साथ सभी में साइकोलॉजिकल चेंज आ रहे हैं, ऐसे में आवश्यक है कि वे अपने पाल्यों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उनका पालन-पोषण करें। आपकी रचनात्मता ही बच्चों को आपसे हमेशा जोड़े रखने की एक कड़ी के रूप में कार्य करती है।
कांफिडेंस डेवलेप करना भी है जरूरी
आज के समय में पालकों का प्रथम दायित्व बच्चों के कांफिडेंस को डेवलप करना हो गया है, जिससे उन्हें हर तरह की परिस्थिति का सामना करने व उनसे निपटने के लिए सुदृढ़ बनाया जा सके। आज के युग में आकस्मिक परेशानियों को ध्यान में रखते हुए बच्चों को इंडिपेंडेंट बनाना अत्यंत आवश्यक है, ताकि वे एक उम्र के बाद अपना ख्याल स्वयं भी रख सकें और उन्हें किसी के आसरे बैठने की जरूरत न पड़े।