कॅरियर के लिए उपाधियां, ज्ञान के अलावा भाग्य का भी बहुत बड़ा साथ होता है। महानगर के विद्यार्थी तो जॉब पा जाते हैं किंतु दूरदराज के ग्रामों के छात्र पिछड़ जाते हैं इंजीनियरिंग की तीन ब्रांचों में मेकेनिकल, सिविल और इलेक्ट्रिकल में अब तक छात्रों को अच्छे अवसर मिलते रहे हैं । इसका मुख्य कारण है कि इन तीनों ब्रांचेस से जुड़े काम के बंद होने की संभावना बहुत ही कम रहती है।
इन सभी काम का दारोमदार बिजली के उत्पादन पर है। शिक्षा के क्षेत्र में विषयों और शाखाओं का वर्गीकरण करना बहुत कठिन काम है फिर भी इंजीनियरिंग, मेडिकल और विज्ञान की शाखाओं की ओर छात्रों का अधिक रुझान होता है। छात्र की रुचि एवं लगन व मेहनत पर यदि हम इन तीन विशेष की बात करें तो छात्र की पहली पसंद मेडिकल होगी, दूसरे क्रमांक पर अभियांत्रिकी और तीसरे पर विज्ञान। यद्यपि वर्गीकरण में विज्ञान तीसरे क्रमांक पर है परंतु छात्रों के लिए अपार संभावनाएं समाहित हैं।
मेडिकल और इंजीनियरिंग जरा कठिन जाता है इसलिए विज्ञान का क्षेत्र छात्रों को कॅरियर बनाने का अच्छा अवसर प्रदान कर सकता है। आजकल इंजीनियरिंग में प्रवेश मिलना इतना कठिन नहीं है जैसे पूर्व में हुआ करता था। महानगर के विद्यार्थी तो जॉब पा जाते हैं परन्तु दूरदराज के ग्रामों के विद्यार्थी पिछड़ जाते हैं इंजीनियरिंग की तीन ब्रांचों में मेकेनिकल, सिविल और इलेक्ट्रिकल में अब तक छात्रों को अच्छे अवसर प्राप्त होते आए हैं और शायद भविष्य में भी होते रहेंगे। जहां तक मेडिकल साइंस का प्रश्न है तो चाहे वह छात्र हो या छात्र के पालक उनकी आंखों के सामने जो प्रथम दृश्य खड़ा होता है वह है एमबीबीएस का।
याने बैचलर आॅफ मेडसिन एंड सर्जरी का लेकिन सीटें लिमिटेड होने के कारण और प्रतिभागियों की संख्या अधिक होने के कारण सबको यह अवसर प्राप्त नहीं होता। इसलिए सरकार ने भी शिक्षाविदों की सलाह पर ऐसे छात्रों को लिए डॉक्टर होने का अवसर ढूंढ निकाला है। जिनका चयन एमबीबीएस के लिए नहीं हुआ है उन्हें निराश होने की आवश्यकता नहीं है। ऐसे छात्र चाहे तो बीएएमएस (आयुर्वेद), बीएचएमएस (होम्योपैथी), बीडीएस (डेंटल) और साथ ही फिजियोथरेपी, एक्युप्रेशप थेरेपी, मनोरोग और नर्सिंग का क्षेत्र चुन सकते हैं।
फामार्कोलाजी और रेडिओलॉजी में भी शिक्षा ग्रहण कर डॉक्टर बनने की इच्छा पूर्ण हो सकती है और कॅरियर भी बन सकता है। इस प्रकार कई विश्वविद्यालयों ने ऐसे भी पाठयक्रम प्रारंभ किए हैं जो डॉक्टरों के साथ काम कर सकते हैं। विज्ञान के छात्रों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से (आईएनएसपीआईआरई) नामक संस्था का संचालन प्रारंभ हुआ है। इस संस्था के कैम्पस, मोहाली, भोपाल, पुणे और तिरुअनंतपुरम में है। यह पांच वर्षों का पाठयक्रम है जिसे बीएसएमएस के नाम से जाना जाता है। चयन होने पर पांच हजार रुपए की स्कॉलरशिप भी प्रदान की जाती है। भुवनेश्वर में संचालित नेशनल इंस्टीटयूट आॅफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च और मुंबई स्थित डिपार्टमेंट आॅफ आॅटोमिक इनर्जी फार एक्सेलेंस इन बेसिक साइंस में बारहवीं में विज्ञान में 60 प्रतिशत अंक प्राप्त छात्र को प्रवेश मिल सकता है।
यह संस्थान, फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स और बायोलॉजी के किसी भी एक विषय में मास्टर्स डिग्री प्रदान करता है। बंगलुरु स्थित इंस्टीटयूट आफ सांइस में चार वर्षों का पाठयक्रम संचालित किया जाता है। इस प्रकार यदि विचार करें तो विज्ञान के क्षेत्र में छात्रों को अपना कॅरियर बनाने के लिए अपार संभावनाएं हैं। यदि छात्र की लगन हो और वह मेहनत करने तैयार है तो इस क्षेत्र में अनेकों पाठ्यक्रम और उपाधियों का लाभ उठाकर जीवन में एक सफल अवसर प्राप्त कर सकता है।