नई दिल्ली। भारत सरकार के एक शीर्ष अधिकारी का कहना है कि अगर पेट्रोल और डीजल को वर्तमान जीएसटी टैक्स स्लैब 5, 12, 18 और 28 फीसदी के तहत लाया गया तो राजस्व की इतनी बड़ी हानि होगी कि केंद्र और राज्य दोनों ही इस झटके को सह नहीं पाएंगे।
बराबर रहेंगी दरें
पेट्रोल और डीजल पर 28 प्रतिशत का अधिकतम कर लगता है। साथ में राज्य सरकारें इस पर कुछ मात्रा में वैट या फिर अतिरिक्त बिक्री कर वसूलती हैं। जब पेट्रोल और डीजल जीएसटी के दायरे में आ जाएंगे, तब भी कर वसूलने का तरीका यही रहेगा। जीएसटी दर और वैट की दरें मिलकर वर्तमान टैक्स की दरों के बराबर ही रहेंगी। इन दरों में उत्पाद कर भी शामिल होता है, जिसे केंद्र सरकार वसूलती है जबकि वैट राज्य सरकारें वसूलती हैं।