नई दिल्ली। उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ने एक अध्ययन में कहा है कि मुद्रास्फीति में बढोतरी को हमेशा ही कम बारिश से जोड़कर नहीं देखा जा सकता क्योंकि देश के प्रमुख खाद्यान्न उत्पादक राज्य पूरी तरह से मानसून पर निर्भर नहीं करते और उनके पास सिंचाई की उचित सुविधाएं हैं।
अध्ययन में कहा गया है कि, मानसून के व्यवहार का खाद्य वस्तुओं की ऊंची कीमतों से कोई ज्यादा लेना देना नहीं है और अच्छे या खराब मानसून के बावजूद इस साल मुद्रास्फीति नरम रहने की उम्मीद है।
इसके अनुसार, श्लेषण के अनुसार खाद्य मुद्रास्फीति में वृद्धि या कमी से मानसून के व्यवहार का कुछ अधिक लेना देना नहीं है। दोनों को आपस में जोड़कर देखना इसलिए भी खराब है कि अच्छे मानसून के वर्षा में भी मुद्रास्फीति बढ जाती है और कई बार इसके उलटा भी होता है।
इसके अनुसार, वहीं दूसरी ओर प्रमुख खाद्यान्न उत्पादक राज्यों के पास उचित सिंचाई सुविधाएं हैं और वे मानसून के व्यवहार पर अधिक निर्भर नहीं करते।