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अडाणी-हिंडनबर्ग केस जांच के लिए नई कमेटी बनाने की मांग, सुप्रीम कोर्ट में दायर की नई याचिका

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 18 2023 5:16PM | Updated Date: Sep 18 2023 5:16PM
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अडाणी-हिंडनबर्ग मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर की गई है। याचिका में नई एक्सपर्ट कमेटी का गठन करने का अनुरोध किया गया है। याचिकाकर्ता अनामिका जैसवाल ने अपने वकील रमेश कुमार मिश्रा के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि कमेटी में ऐसे व्यक्तियों को शामिल किया जाए, जिनकी छवि बेदाग हो और जिनका अडाणी-हिंडनबर्ग मामले से किसी भी तरह से कोई लेना-देना न हो। वित्त, कानून और शेयर बाजार से जुड़े एक्सपर्ट्स को भी कमेटी में शामिल किया जाए। याच‍िका पर सुप्रीम कोर्ट 13 अक्टूबर को सुनवाई कर सकता है।

24 जनवरी 2023 को अमेरिका की शॉर्ट-सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप लगाए गए थे। इस मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 6 सदस्यीय कमेटी बनाई थी। कमेटी के हेड रिटायर्ड जज एएम सप्रे थे। उनके साथ कमेटी में जस्टिस जेपी देवधर, ओपी भट, एमवी कामथ, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरेसन को भी शामिल किया गया था। कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट 19 मई 2023 को सार्वजनिक की थी।

कमेटी ने रिपोर्ट में कहा- SEBI को संदेह है कि अडाणी ग्रुप में निवेश करने वाले 13 विदेशी फंडों के प्रमोटर्स के साथ संबंध हो सकते हैं। अडाणी ग्रुप के शेयरों में वॉश ट्रेड का कोई भी पैटर्न नहीं मिला है। वॉश ट्रेड यानी वॉल्यूम बढ़ाने के लिए खुद ही शेयर खरीदना और बेचना। कुछ संस्थाओं ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट के पब्लिश होने से पहले शॉर्ट पोजीशन ली थी। जब शेयर के भाव गिरे तो इसे खरीदकर मुनाफा कमाया।

नई याचिका में एक्सपर्ट कमेटी के मेंबर और भारतीय स्टेट बैंक के पूर्व चेयरमैन ओपी भट्‌ट, केवी कामथ और सोमशेखर सुंदरेसन के शामिल होने पर सवाल उठाए गए हैं। याचिका में कहा गया है कि इन मेंबर्स के समिति में शामिल होने से हितों का टकराव हो रहा है।

ओपी भट रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड कंपनी ग्रीनको के चेयरमैन हैं। एनर्जी प्रोवाइड करने के लिए ग्रीनको और अडाणी ग्रुप मार्च 2022 से क्लोज पार्टनरशिप में हैं। ICICI बैंक की MD रहीं चंदा कोचर से जुड़े फ्रॉड केस में CBI की FIR में केवी कामथ का भी नाम है। केवी कामथ 1996 से 2009 तक ICICI बैंक के चेयरमैन थे।

1. सबसे पहले चार जनहित याचिका दायर की

मनोहर लाल शर्मा ने याचिका में हिंडनबर्ग रिसर्च के फाउंडर नाथन एंडरसन और भारत में उनके सहयोगियों के खिलाफ जांच करने और FIR की मांग की थी। इसके साथ ही इस मामले पर मीडिया कवरेज पर रोक की भी मांग की गई थी। विशाल तिवारी ने SC के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता वाली एक कमेटी बनाकर हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच की मांग की थी। तिवारी ने अपनी याचिका में लोगों के उन हालातों के बारे में बताया था जब शेयर प्राइस नीचे गिर जाते हैं।

जया ठाकुर ने इस मामले में भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) और भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की भूमिका पर संदेह जताया था। उन्‍होंने LIC और SBI की अडाणी एंटरप्राइजेज में भारी मात्रा में सार्वजनिक धन के निवेश की भूमिका की जांच की मांग की थी। मुकेश कुमार ने अपनी याचिका में SEBI, ED, आयकर विभाग, डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस से जांच के निर्देश देने की मांग की थी। मुकेश कुमार ने अपने वकीलों रूपेश सिंह भदौरिया और महेश प्रवीर सहाय के जरिए ये याचिका दाखिल कराई थी।

2. कोर्ट ने 2 मार्च 2023 को बनाई 6 सदस्यीय कमेटी

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जो कमेटी बनाई थी, उसके हेड रिटायर्ड जज एएम सप्रे हैं। उनके साथ इस कमेटी में जस्टिस जेपी देवधर, ओपी भट, एमवी कामथ, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरेसन शामिल हैं। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की बेंच ने कमेटी बनाने का यह आदेश 2 मार्च को दिया था। 19 मई को कमेटी ने रिपोर्ट सार्वजनिक की थी।

3. सेबी को इन 2 पहलुओं पर जांच करने के लिए कहा

कॉन्ट्रैक्ट रेगुलेशन रूल्स का नियम 19 (A) शेयर मार्केट में लिस्टेड कंपनियों की मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग से जुड़ा है। भारतीय कानून में किसी भी लिस्टेड कंपनी में कम से कम 25% शेयरहोल्डिंग पब्लिक यानी नॉन इनसाइडर्स की होनी चाहिए। हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी विदेश में शेल कंपनियों को मैनेज करते हैं। इनके जरिए भारत में अडाणी ग्रुप की लिस्टेड और प्राइवेट कंपनियों में अरबों डॉलर ट्रांसफर किए गए। इसने अडाणी ग्रुप को कानूनों से बचने में मदद की।

4. सेबी को जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट से अतिरिक्त समय मिला

सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को अपनी जांच रिपोर्ट सौंपने के लिए 14 अगस्त तक का समय दिया। कोर्ट ने इससे पहले 2 मार्च को सेबी को जांच के लिए 2 महीने का समय दिया था। यानी उसे 2 मई तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी। हालांकि, सेबी ने कहा था कि अडाणी ग्रुप के ट्रांजैक्शन काफी कॉम्प्लेक्स है, इसलिए जांच के लिए उसे कम से कम 6 महीने का अतिरिक्त समय चाहिए।

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