27 Apr 2024, 00:42:37 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

मुंबर्इ। बॉलीवुड में अमरीश पुरी को एक ऐसे अभिनेता के तौर पर याद किया जाता है जिन्होंने अपनी कड़क आवाज, रौबदार भाव, भंगिमाओं और दमदार अभिनय के बल पर खलनायकी को एक नई पहचान दी। रंगमंच से फिल्मों के रूपहले पर्दे तक पहुंचे अमरीश ने करीब तीन दशक में लगभग 250 फिल्मों में अभिनय का जौहर दिखाया।

पंजाब के नौशेरां गांव में 22 जून 1932 में जन्में अमरीश ने अपने करियर की शुरुआत श्रम मंत्रालय में नौकरी से की और उसके साथ -साथ सत्यदेव दुबे के नाटकों में अपने अभिनय का जौहर दिखाया। बाद में वह पृथ्वी राज कपूर के ‘पृथ्वी थिएटर’ में बतौर कलाकार अपनी पहचान बनाने में सफल हुए। पचास के दशक में अमरीश ने हिमाचल प्रदेश के शिमला से बीए पास करने के बाद मुंबई का रूख किया।

वर्ष 1954 मे अपने पहले फिल्मी स्क्रीन टेस्ट मे अमरीश सफल नहीं हुए। वर्ष 1971 मे बतौर खलनायक उन्होंने फिल्म ‘रेशमा’ और ‘शेरा’ से अपने करियर की शुरुआत की लेकिन दर्शको के बीच वह अपनी पहचान नहीं बना सके। लेकिन उनके उस जमाने के मशहूर बैनर बाम्बे टाकिज में कदम रखने बाद उन्हें बड़े-बड़े बैनर की फिल्में मिलनी शुरू हो गई।

अमरीश ने खलनायकी को ही अपने करियर का आधार बनाया। इन फिल्मों में अर्द्धसत्य, निशांत, मंथन, भूमिका, कलयुग, मंडी, नगीना जैसी सुपरहिट फिल्में भी शामिल हैं। ‘मिस्टर इंडिया’ में ‘मौगेम्बो’ का किरदार उनकी पहचान बन गया।

जहां भारतीय मूल के कलाकार को विदेशी फिल्मों में काम करने की जगह नहीं मिल पाती है वहीं अमरीश पुरी ने स्टीफन स्पीलबर्ग की मशहूर फिल्म ‘इंडिना जोंस एंड द टेंपल आफ डूम’ में खलनायक के रूप में काली के भक्त का किरदार निभाया।

इसके लिए उन्हें अंतर्राष्ट्रीय ख्याति भी प्राप्त हुई। लगभग चार दशक तक अपने दमदार अभिनय से दर्शको के दिलों में अपनी खास पहचान बनाने वाले अमरीश पुरी 12 जनवरी 2005 को इस दुनिया से अलविदा कह गए।

 
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