वाराणसी। सनातन धर्म के चार प्रमुख पर्वों में दीपावली का प्रमुख स्थान है। इसे कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है। कार्तिक अमावस्या तिथि 18 अक्टूबर की रात्रि 11.34 बजे लग रही है जो 19 की रात 11.42 बजे तक रहेगी। ऐसे में इस बार दीपावली 19 अक्टूबर को मनाया जाएगा। पूजन का प्रमुख काल प्रदोष काल माना जाता है। इसमें स्थिर लग्न की प्रधानता बताई जाती है। अत: दीपावली का प्रमुख पूजन मुहूर्त 19 अक्टूबर को स्थिर लग्न, वृष राशि में शाम 7.15 बजे से 9.10 बजे के बीच अति शुभद होगा। इससे पहले स्थिर लग्न, कुंभ राशि में दोपहर 2.38 बजे से शाम 4.10 बजे तक पूजन शुभद है।
ज्योतिषाचार्य ऋषि द्विवेदी के अनुसार स्थिर लग्न सिंह अमावस्या में नहीं मिलने से इस बार तीन की बजाय दो ही मुहूर्त मिल रहे हैं। अत: रात 11.42 बजे से पहले पूजन अवश्य कर लेना चाहिए। इसके बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा लग जाएगी। महानिशा पूजन रात्रि 12 बजे के बाद और दरिद्रा निस्तारण भोर में किया जाएगा। दीपावली की शाम देव मंदिरों के साथ ही गृह द्वार, कूप, बावड़ी, गोशाला, इत्यादि में दीपदान करना चाहिए। रात्रि के अंतिम प्रहर में लक्ष्मी की बड़ी बहन दरिद्रा का निस्तारण किया जाता है। व्यापारी वर्ग को इस रात शुभ तथा स्थिर लग्न में अपने प्रतिष्ठान की उन्नति के लिए कुबेर लक्ष्मी का पूजन करना चाहिए।
परिवार में इस रात गणोश-लक्ष्मी कुबेर जी का पंचोपचार का षोडशोपचार पूजन कर धूप दीप प्रज्ज्वलित कर माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए श्रीसूक्तम, कनकधारा, लक्ष्मी चालीसा समेत किसी भी लक्ष्मी मंत्र का जप पाठ आदि करना चाहिए।