नाग पूजन का पर्व नागपंचमी गुरुवार और शुक्रवार दो दिन मनाया जाएगा। इस अवसर पर सर्वार्थ और अमृत सिद्धि योग में घर-घर नाग देवता का पूजन किया जाएगा। नाग मंदिर में दर्शन-पूजन के लिए भक्तों की कतारें लगेंगी। इसके साथ ही कालसर्प दोष और सर्प बाधा से मुक्ति के लिए अनुष्ठान होंगे। जगह-जगह मिट्टी के नाग बनाकर पूजन किया जाएगा।
ज्योतिषाचार्य चंद्रभूषण व्यास ने बताया श्रावण मास की पंचमी तिथि गुरुवार सुबह 7 बजे से शुक्रवार सुबह 6.30 बजे तक रहेगी। इस दौरान नाग पंचमी दो दिन मनाई जाएगी, लेकिन शुक्रवार सुबह 6.38 तक ही पंचमी रहने के कारण गुरुवार को ही इसे श्रेयस्कर माना गया है। सावन माह में भगवान शिव की आराधना होती है और नागदेवता शिव स्वरूप माने जाते है, इसके चलते ही नाग पंचमी को नागदेवता की पूजा प्राचीनकाल से होती आ रही है।
इसी के तहत गुरुवार को नागपंचमी मनाई जाएगी। इस अवसर पर अधिकतर घरों में महिलाएं नागदेवता की पूजा कर दूध चढ़ाती हैं। इसके चलते इस दिन बड़ी संख्या में सपेरे नागदेवता को पिटारी में बंद कर गली-मोहल्लों में घरों में जाकर पूजन कराते हैं, हालांकि सपेरों पर प्रशासन व वन विभाग ने सांप लेकर घूमने पर रोक लगा रखी है, इसके बावजूद सपेरे बीन बजाए बिना चोरी-छिपे सांप लेकर घूमते हैं।