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Astrology

सपनों और आदतों में कैसे बनाएं संतुलन

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Nov 7 2016 2:00PM | Updated Date: Nov 7 2016 2:00PM
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सपनों और आदतों के बीच संतुलन का अभाव काफी महीन किस्म का होता है। जलन, अवसाद, बीमारी या बेचैनी जैसे लक्षण इन्हें व्यक्त नहीं करते, बल्कि इनका अनुभव तब होता है, जब किसी अनचाहे साथी की तरह यह एहसास हमेशा आपके साथ होता है और रह-रह कर आपको कान में फुसफुसाता रहता है कि आप किसी चीज की अनदेखी कर रहे हैं।
 
कई बार कुछ ऐसे अनजाने काम या अनुभव होते हैं, जिन्हें आप मानते हैं कि वे आपके अस्तित्व का हिस्सा हैं।  यहां इस तराजू को असंतुलित करने वाला मोटा बच्चा आपकी रोज की दिनचर्या है, यानी जो आप काम करते हैं, जहां आप रहते हैं, जिनसे आप मिलते हैं, जो आप पढ़ते हैं, जो सिनेमा आप देखते हैं और जो बातें आप करते हैं।
 
ऐसा नहीं है कि ये सब जो काम आप करते हैं वे बुरे की श्रेणी में आते हैं। असंतुलन बना रहता है, क्योंकि वे आपके जीवन के लिए स्वास्थ्यकर नहीं हैं। संक्षेप में कहा जाए तो वे काम बिल्कुल वैसे नहीं हैं, जैसे आप खुद को करते हुए देखना चाहते हैं।
 
असंतोष का यह बोझ सदा आपके कंधे पर लदा रहता है। जब नींद आती है तो ये असंतोष हमें हमारे अधूरेपन की याद दिलाता है, लेकिन जब हमारी आंख खुलती है तो फिर हम उसी भागदौड़ में शामिल हो जाते हैं, जो हमारी सुविधाजनक दिनचर्या है।
 
एक समय ऐसा आता है, जब आप अपने इस अभाव के भाव का इलाज करने के लिए खुद पर सख्ती करना शुरू कर देते हैं। बेहतर और उदात्त जीवन जीने की इच्छा आपकी आध्यात्मिक ऊर्जा का एक पहलू है। इस क्षेत्र में संतुलन बनाने के लिए आपको अपनी सोच की ऊर्जा को नियंत्रित करना होगा।
 
आपकी मानसिक ऊर्जा उसी चीज को आकर्षित करती है, जो आप सोचते हैं। नकारात्मक सोच का मतलब है आप नकारात्मक घटनाओं को जीवन में न्योता दे रहे हैं। याद रखें, इस असंतुलन के लिए जहां आप जिम्मेदार हैं तो इससे निकलने के लिए आप ही काबिल हो सकते हैं। जब आप ऐसा करते हैं तो आप पाते हैं कि वास्तविक संसार की सीमाएं हैं, लेकिन आपकी कल्पनाओं का संसार सीमातीत है।
 
इन्हीं सीमातीत कल्पनाओं से निकलता है वास्तविकता का बीज, जिसे आपको संतुलित वातावरण में रोपना है। इस सिद्धांत के मूल में है, सपनों और आदतों में संतुलन बैठाना। इसकी सहज शुरूआत करने के लिए अपनी आदतों को पहचानना होगा और अपने सपनों के साथ उनका तालमेल बनाने के बारे में सोच को परिवर्तित करना होगा।
 
तो फिर खुद पहचानिए आपके सपने क्या हैं? ऐसा क्या है आपके अंदर, जो कभी दूर गया ही नहीं? क्या है, जो रात भर आपके अंदर टिमटिमाता रहता है, आपकी सोच और सपनों के अंदर? दूसरों को ये चाहे वाहियात लगें, लेकिन यदि आप अपनी आदतों और सपनों में संतुलन हासिल करना चाहते हैं तो आपको अपनी ऊर्जा को अपने सपनों को साकार करने की दिशा में मोड़ना होगा।
 
सोच मानसिक ऊर्जा है। यह उस मुद्रा या धनराशि की तरह है, जिससे आप अपनी इच्छाओं को हासिल करते हैं। आपको सीखना होगा कि आप इस धनराशि को ऐसी सोच पर खर्च न करें, जो आप नहीं चाहते। जब आप इस तरीके से सोचना शुरू करेंगे तो प्रकृति आपके पक्ष में काम करना शुरू कर देगी और आप वही हासिल करेंगे, जो आप चाहते हैं। सोच का यह बदलाव आपको संतुलन की ओर ले जाएगा।
 
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