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Astrology

दुखों का नाश करता है रुद्राक्ष

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Feb 29 2016 10:54AM | Updated Date: Feb 29 2016 10:54AM
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रुद्राक्ष की उत्तपति रूद्र देव के आंसुओं से हुई है। रुद्राक्ष का प्रयोग दो रूपों में किया जाता है। एक आध्यात्मिक और दूसरा वैज्ञानिक और स्वास्थवर्धक।
 
अध्यात्मिक प्रभाव
एक मुखी रुद्राक्ष का प्रतीक भगवान शिव को माना जाता है तथा इस एकमुखी रुद्राक्ष का सतारुढ़ ग्रह सूर्य है अत: सूर्य द्वारा शुभ फलों की प्राप्ति तथा सूर्य की अनुकूलता हेतु इसे धारण किया जाता है। एक मुखी रुद्राक्ष आध्यात्मिकता का प्रकाशक बनकर मुक्ति का मार्ग प्राश्स्त करता है।
 
इसे पूजने तथा धारण करने से व्यक्ति के समस्त दुखों एवं पापों का शमन होता है तथा शांति एवं सुख प्राप्त होता है।  उनके इर्द गिर्द अष्ट सिद्धियां भ्रमण करती रहती हैं। और मोक्ष कों प्राप्त करते है और जन्म जन्म के चक्कर से मुक्त होत जाते है। शास्त्रों में वर्णित है की एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति कों कभी भी धन धान की कमी नहीं होती है और आकस्मित मौत भी नहीं हो सकती।
 
वैज्ञानिक एवं स्वास्थ्यवर्धक
जो व्यक्ति पागल हो जाते हैं वैसे व्यक्ति कों एकमुखी रुद्राक्ष घिस कर मक्खन के साथ सुबह शाम देने से उसका मानसिक संतुलन ठीक होत जाता है। जो व्यक्ति कोमा में चले जाते हैं वैसे व्यक्ति कों एक मुखी रुद्राक्ष का एक बीज निकाल कर, पीस कर पिलाने से वह कोमा से बाहर आ जाते हैं।  नेत्रों की ज्योती, सिरदर्द , हृदय रोग , नजर दोष ,उदर संबंधी रोग जैसी अनेक व्याधियों से छुटकारा मिलता है।
 
स्नायु रोग,अतिसार,ह्रदय गति से संबंधित रोगों को दूर करने में एक मुखी रुद्राक्ष लाभदायक होता है। घर मे मंदिर मे भगवान शिव को अपर्ण करने पर घर कलेश और वास्तु दोष दूर होते है। एक मुखी रूद्राक्ष गोलाकार रूप में तथा काजू दाना रूप वाला भी होता है, गोलाकार रूपी रुद्राक्ष मिलना दुर्लभ होता है।
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