वास्तुशास्त्र के अनुसार, घर के बाहर पहने जानी वाली चप्पलें या जूतों को घर के भीतर पहनकर प्रवेश किया जाता है तो बाहर की नकारात्मक ऊर्जा हमारे जूते, चप्पलों के जरिए घर में प्रवेश कर जाती है। वहीं कई बार जाने अनजाने में व्यक्ति जूते चप्पलों को घर में सही जगह पर न रखकर अच्छे वास्तु को भी खराब कर देते हैं घर या अन्य बाहर से आने वाले लोग अपने जूते चप्पलों के साथ नकारात्मक ऊर्जा घर में लेकर न आएं। इसलिए मुख्य द्वार के बाहर ही जूते चप्पलों की व्यवस्था को उचित माना जाता हैं।
वही जूते की अलमारी हमेशा ही मुख्य द्वार से 2-3 फुट की दूरी पर ही होनी चाहिए। यह भी ध्यान रहें, कि जूते की रैक या अलमारी में रखे जूते चप्पल बाहर की ओर दिखते न रहें। इसमें दरवाजा लगा हो या स्लाइडिंग द्वार हो। वही मुख्य दरवाजे से ही श्री गणेश लक्ष्मी व अन्य शुभ ऊर्जा घर में प्रवेश करती हैं इसलिए जूते चप्पल ढके हो और ऊर्जा को घर में प्रवेश करने में कोई बाधा न हों।
वही जूते चप्पल की अलमारी कभी भी घर में बने पूजा के कमरे और रसोई की दीवार से सटाकर नहीं रखें, वरना ये वास्तुदोष पैदा करते हैं अगर खाना बनाते समय व खाना खाते समय भी जूते चप्पल की अलमारी कभी भी घर में बने पूजा के कमरे और रसोई की दीवार से सटाकर नहीं रखें वरना ये वास्तुदोष पैदा करते हैं वही अगर खाना बनाते समय व खाना खाते वक्त भी जूते चप्पल न पहने हो तो ये बहुत ही अच्छा रहता हैं वही घर के पूर्व, उत्तर, ईशान या आग्नेय कोण में जूते चप्पल की रैक या अलमारी कभी न बनाएं।