असफलता यह सिद्ध करती है कि सफलता का प्रयास पूरे मन से नहीं किया गया। संसार में प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में हर क्षेत्र में सफल होना चाहता है चाहे नौकरी हो या व्यापार, विद्यार्जन हो, प्रतियोगी परीक्षा हो, चाहे कोई कलाकार, संगीतकार, वैज्ञानिक, व्यवसायी हो या कृषक।
लड़का हो या लड़की, विवाहित हो या अविवाहित, सभी सफलता चाहते हैं। लेकिन सफलता ख्याली पुलाव पकाने वाले या कोरी कल्पनाओं में सोए रहकर सपने देखने वालों को नहीं मिलती।
सफलता की कहानी लिखी जा सके इससे पहले कुछ सूत्रों को अपनाना होगा। दुनिया के सफलतम व्यक्तियों जिन्होंने अपने जीवन में कामयाबी हासिल की उन्होंने कुछ सूत्रों को जीवन में स्थान दिया।
सफलता के शिखर को जिन्होंने छुआ, उस पर प्रतिष्ठित हुए ऐसे महापुरुषों के जीवन में अपनाए गए प्रयोगों से हम प्रेरणा लें। सफलता का मूल मनुष्य की इच्छाशक्ति में सन्निहित होती है।
समुद्र से मिलने की प्रबल आकांक्षा करने वाली नदी की भांति वह मनुष्य भी अपनी सफलता के लिए मार्ग निकाल लेता है, जिसकी इच्छाशक्ति दृढ़ और बलवती होती है, उसके मार्ग में कोई भी रुकावट बाधा नहीं डाल सकती।
संसार के सभी छोटे- बड़े कार्य किए जा सकने के माध्यम शक्ति है। लेकिन वास्तविक शक्ति मनुष्य की इच्छा शक्ति है। इच्छा की स्फुरण से कर्म करने की प्रेरणा मिलती है। प्रेरणा से व्यक्ति कर्म करने के लिए प्रवृत्त हो जाता है।
जो व्यक्ति अपने शरीर से हमेशा अपने लक्ष्य के अनुरूप श्रम करने को तत्पर रहता है, अपनी शक्तियों का समुचित उपयोग करता है, वह कृतकृत्य हो जाता है। सक्रियता ही जीवन है और निष्क्रियता ही मृत्यु।
श्रम से जी चुराने वाले, आलस्य और प्रमाद में पड़े रहने वाले युवा को युवा तो क्या जीवित भी नहीं कहा जा सकता। श्रम करने से शरीर स्वस्थ एवं स्फूर्तिवान बनता है। जिससे वांछित सफलता की ओर बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।