चैत्र नवरात्र का अपना अलग महत्व है। पूरे साल में चार नवरात्र मनाए जाते हैं जिनमें दो गुप्त नवरात्र सहित शारदीय नवरात्र और चैत्र नवरात्र शामिल हैं। नवरात्र के नौ दिनों में लोग व्रत रख अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए भगवान से वरदान मांगते हैं।
शारदीय नवरात्र वैभव और भोग प्रदान देने वाले है जबकि चैत्र नवरात्र आत्मशुद्धि और मुक्ति के लिए। वैसे सभी नवरात्र का आध्यात्मिक दृष्टि से अपना महत्व है।
नवरात्र के नौ दिनों में मनुष्य अपनी भौतिक, आध्यात्मिक, यांत्रिक और तांत्रिक इच्छाओं को पूर्ण करने की कामना से व्रतोपवास रखता है और ईश्वरीय शक्ति इन इच्छाओं को पूर्ण करने में सहायक होती है।
इसलिए आध्यात्मिक दृष्टि से नवरात्र का अपना महत्व है। ज्योतिष की दृष्टि से चैत्र नवरात्र का विशेष महत्व है क्योंकि इस नवरात्र के दौरान सूर्य का राशि परिवर्तन होता है।
सूर्य 12 राशियों में भ्रमण पूरा करते हैं और फिर से अगला चक्र पूरा करने के लिए पहली राशि मेष में प्रवेश करते हैं। सूर्य और मंगल की राशि मेष दोनों ही अग्नि तत्व वाले हैं इसलिए इनके संयोग से गर्मी की शुरूआत होती है। चैत्र नवरात्र से नववर्ष के पंचांग की गणना शुरू होती है।
क्यों जलाते है अखंड ज्योत ?
नवरात्र के नौ दिनों में लोग व्रत रख अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए भगवान से वरदान मांगते हैं। इस दौरान व्रत रखने वाले अखंड ज्योत जलाते है। लेकिन क्या आपको पता है इसे क्यों जलाया जाता है। कहा जाता है कि नवरात्र के दौरान अखंड ज्योति रखने से घर में सुख-समृद्धि का निवास होता है।
घर में अखंड ज्योत रखने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त की जा सकती है। वहीं नवरात्र में दीपक जलाए रखने से घर-परिवार में सुख-शांति एवं पितृ शांति रहती है। शनि के कुप्रभाव से मुक्ति के लिए तिल्ली के तेल की अखंड ज्योत जलाई जाती है।