कहा जाता है कि प्राचीन मंदिरों में जहां सोना-चांदी, खजाना रखा होता है उसकी रक्षा सांप करते हैं। ऐसी मान्यताओं को देखते हुए पुरी के जगन्नाथ मंदिर ट्रस्ट ने 14 जुलाई को खुलने जा रहे रत्न भंडार के मद्देनजर कुशल संपेरे खोजने का काम शुरू हुआ है। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (SJTA) ऐसी व्यवस्था कर रहा है कि जब 14 जुलाई को रत्न भंडार के खजाने को जब खोला जाए तो वहां सपेरा भी हो ताकि उपस्थिति लोगों की सुरक्षा का ध्यान भी रखा जा सके। इसके साथ ही ऐसी किसी चुनौतीपूर्ण स्थिति की समीक्षा के लिए डॉक्टरों की पूरी टीम भी मेडिकल किट के साथ मौजूद रहेगी।
द टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक मंदिर प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमने सरकार को रत्न भंडार को खोले जाने के वक्त की एक ऐहितयात सूची सौंपी है। इसमें सपेरों और डॉक्टरों की टीम की व्यवस्था करने का आग्रह किया गया है। मान्यता है कि रत्ना भंडार की सुरक्षा किंग कोबरा जैसे विषधारी करते हैं।
एक अन्य सेवक ने कहा कि हम सभी प्राचीन मंदिर से निकले वाले रत्न भंडार को लेकर जिज्ञासु हैं लेकिन साथ ही वहां पर सांपों की संभावना को देखते हुए भयभीत भी हैं। इस बारे में एक अन्य सेवक ने टीओआई को बताया कि जगन्नाथ हेरिटेज कॉरीडोर प्रोजेक्ट के सौंदर्यीकरण के दौरान मंदिर के आस-पास सांप मिले थे। प्राचीन मंदिर होने के कारण कई स्थानों पर छोटे-छोटे छेद और क्रैक हैं। इन छेदों में सांपों की उपस्थिति की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता लिहाजा रत्न भंडार के खोले जाने के समय सुरक्षा के सभी इंतजाम किए जाने चाहिए।
श्री जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार की आखिरी इन्वेंट्री 1978 में हुई थी। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (STJA) की ओर से दाखिल एक हलफनामे के अनुसार, रत्न भंडार में तीन कक्ष (चैंबर) हैं। भीतरी कक्ष में रखे आभूषणों का कभी इस्तेमाल नहीं होता। बाहरी कक्ष के आभूषणों को त्योहारों के अवसर पर निकाला जाता है। देवताओं के दैनिक अनुष्ठानों के लिए वर्तमान कक्ष में रखे आभूषणों का उपयोग किया जाता है। हलफनामे के अनुसार, भीतरी कक्ष में 50 किलो 600 ग्राम सोना और 134 किलो 50 ग्राम चांदी है। बाहरी कक्ष में 95 किलो 320 ग्राम सोना और 19 किलो 480 ग्राम चांदी है। वर्तमान कक्ष में 3 किलोग्राम 480 ग्राम सोना और 30 किलोग्राम 350 ग्राम चांदी है।
1978 के बाद 1985 में भी रत्न भंडार के भीतरी कक्ष को खोला गया था लेकिन सिर्फ मरम्मत की गई, कोई इन्वेंट्री नहीं ली गई। उसके बाद से, मंदिर प्रशासन ने दो बार भीतरी कक्षा को खोलने की कोशिश की है लेकिन श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत होने के डर से कदम पीछे खींच लिए। आखिरी बार ऐसी कोशिश 4 अप्रैल, 2018 को की गई थी। तब प्रशासन निरीक्षण के लिए भीतरी कक्ष खोलना चाहता था मगर चाबी ही नहीं मिली।
तब ओडिशा हाई कोर्ट के आदेश पर निरीक्षण करने आई 16 सदस्यीय टीम को बाहर से ही भीतरी चैंबर का निरीक्षण करना पड़ा था। जून 2018 में चाबी गायब होने की खबर फैल गई। नागरिकों, श्रद्धालुओं और विपक्षी पार्टियों के दबाव में पटनायक सरकार ने न्यायिक जांच के आदेश दिए। आयोग को जांच शुरू किए 10 दिन भी नहीं हुए थे कि पुरी के जिला प्रशासन को एक सीलबंद लिफाफा मिला जिसके कथित रूप से भीतरी कक्ष की डुप्लीकेट चाबियां थीं। हालांकि, विपक्ष और पुरी के शंकराचार्य लगातार बीजद सरकार की आलोचना करते रहे। हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज रघुबीर दास की अगुवाई में बने जांच आयोग ने उसी साल नवंबर में रिपोर्ट सौंपी थी।
अगस्त 2023 में, पुरी निवासी दिलीप कुमार ने हाई कोर्ट में पीआईएल दाखिल की। वह चाबी गायब होने पर न्यायिक आयोग की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक कराना चाहते थे। 2018 में सौंपी गई रिपोर्ट में क्या था, इसका खुलासा अब तक नहीं किया गया था। पिछले साल ही, जगन्नाथ मंदिर की प्रबंधन समिति ने एक प्रस्ताव पारित किया कि रत्न भंडार को खोला जाएगा। हालांकि आखिरी फैसला ओडिशा सरकार को करना होता है। हाई कोर्ट के निर्देश पर तत्कालीन सीएम नवीन पटनायक ने फरवरी 2024 में 12 सदस्यीय कमेटी बनाई। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता में बनी कमेटी को रत्न भंडार में रखे आभूषणों और अन्य बहुमूल्य रत्नों की इन्वेंट्री करनी थी।
ओडिशा में चुनाव के बाद बीजेपी की सरकार बनी। उस समिति को पुनर्गठित करके जस्टिस विश्वनाथ रथ के नेतृत्व में 16 सदस्यीय समिति बनाई गई। समिति रत्न भंडार को फिर खोलने की देखरेख के अलावा रत्न भंडार की मरम्मत और उसमें रखी मूल्यवान वस्तुओं की सूची भी देखेगी।