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Astrology

श्री कृष्ण का प्रिय महीना मार्गशीर्ष, जानें क्या है इस मास का महत्व

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Nov 25 2023 5:13PM | Updated Date: Nov 25 2023 5:13PM
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जैसे अंग्रेजी कैलेंडर में जनवरी, फरवरी और मार्च के महीने होते हैं, वैसे ही हिंदू कैलेंडर में चैत्र, आषाढ़, ज्येष्ठ, सावन, भाद्रपद, कार्तिक और मार्गशीर्ष का महीना होता है। मार्गशीर्ष का महीना हिंदू पंचांग का नौवा महीना होता है। इसे कुछ जगहों पर अगहन का महीना भी कहते हैं। इस महीने को हिंदू शास्त्रों में सबसे पवित्र माना जाता है। यह महीना इतना पवित्र है कि भगवान कृष्ण गीता में कहते हैं कि महीनों में “मैं मार्गशीर्ष हूं।” श्रीकृष्ण ने मार्गशीर्ष माह की महत्ता रोपियों को भी बताई थी। उन्होंने कहा था कि इस महीने में यमुना स्नान से मैं सहज ही सभी को प्राप्त हो जाऊंगा।

मार्गशीर्ष माह को भगवान श्री कृष्ण का स्वरूप माना गया है। मार्गशीर्ष माह को अगहन मास कहने के पीछे भी कई तर्क हैं। भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अनेक स्वरूपों में एवं अनेक नामों से की जाती है। इन्हीं स्वरूपों में से एक मार्गशीर्ष का ही एक रूप है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस माह का मृगशीरा नक्षत्र से है। ज्योतिष के अनुसार नक्षत्र 27 होते हैं जिसमें से एक है मृगशीरा नक्षत्र। इस माह की पूर्णिमा मृगशीरा नक्षत्र से युक्त होती है। इसी वजह से इस माह को मार्गशीर्ष मास के नाम से जाना जाता है।

मार्गशीर्ष माह से श्रृद्धा और भक्ती से प्राप्त पुण्य के बल पर हमें सभी सुखों की प्राप्ति होती है। इस माह में नदी स्नान, और दान पुण्य का विशेष महत्व है। मार्गशीर्ष के महीने में नदी स्नान के लिए तुलसी की जड़ की मिट्टी व तुलसी के पत्तों से स्नान करना चाहिए। स्नान करते समय ओम नमो नमाय: या गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। कहा जाता है कि मार्गशीर्ष के महीने में जो भक्त भगवान श्रीकृष्ण के मंत्र का जाप करता है, उसकी सभी इच्छाएं और मनेकामनाएं श्रीकृष्ण पूरी करते हैं।

धर्म कर्म की दृष्टि से इस महीने को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस महीने में ऐसी चमत्कारी शक्तियां हैं जिनपर आप सहसा विश्वास नहीं कर पाएंगे। अगहन महीने में श्रीकृष्ण का ध्यान और उपासना करने से अमोघ फल प्राप्त होता है। अत: इस माह में निरंतर भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान करके रहने से इस माह का संपूर्ण फल आप पा सकते हैं। श्रीकृष्ण को अपना बनाने और उनकी कृपा पाने के लिए केवल प्रेम का साधना ही पर्याप्त है।

मार्गशीर्ष महीने में अगर आप पूरे प्रेम भाव से श्रीकृष्ण को पुकारेंगे तो निश्चित ही वे उसका उचित फल देंगे। स्कंदपुराण के अनुसार, भगवान कृष्ण और राधा की कृपा वाले को मार्गशीर्ष माह में व्रत उपवास और भजन कीर्तन आदि करते रहना चाहिए। इसके साथ ही शाम के समय यानी, संध्याकाल में श्रीकृष्ण और राधा की अराधना करने के साथ-साथ विष्णु जी के भजन कीर्तन भी अवश्य करने चाहिए। मार्गशीर्ष मास में प्रतिदिन गीता का पाठ जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से भगवान भक्तों की सभी मनोकामना पूरी होती हैं। इस महीने कुछ चीजों का प्रयोग करने की मनाही है। इस माह में जीरा नहीं खाने की मान्यता है। इसलिए मार्गशीर्ष में जीरा नहीं खाना चाहिए। इसके साथ ही तेल मालिश करना शुभ फल प्रदान करता है।

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