27 Apr 2024, 04:40:19 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

जब बादल का तापमान हिमांक से नीचे पहुंच जाता है तब वहां नन्हें-नन्हें  हिमकण बनने लगते हैं। जब ये कण बादल से नीचे की ओर गिरते हैं तो वे एक दूसरे से टकराते हैं और एक दूसरे में जुड़ जाते हैं। इस प्रकार इनका आकार बड़ा होने लगता हैं। जितने ज्यादा हिमकण आपस में जुड़ते हैं हिमकण का आकार उतना ही बड़ा होता जाता हैं। पृथ्वी पर वे छोटे छोटे रुई के फाहों के रूप में झरने लगते हैं। इन्हें हिमपात कहते हैं।
 
अगर हवा का तापमान हिमांक से नीचे न हो तो ये हिमकण गिरते समय पिघल जाते हैं। केवल सर्दी होने से बर्फ नहीं गिरती है। इसके लिए हवा में पानी के कण होना जरूरी है।  गिरी हुई बर्फ कहीं बहुत हल्की तो कहीं बहुत गहरी भी हो सकती है। क्यों कि बर्फ हवा से उड़ती हुई इधर-उधर जाती है और एक जगह पर एकत्र हो जाती है, गिरती हुई बर्फ हमेशा नर्म नहीं होती।
 
कभी कभी यह छोटे-छोटे पत्थरों के रूप में भी गिरती है। इन पत्थरों को ओले कहते हैं। इनमें बर्फ की कई सतहें होती हैं। अभी तक सबसे बड़ा ओला 1.2 किलो का पाया गया है। उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ के पहाड़ हैं। इन पहाड़ों से बर्फ के बड़े बड़े टुकड़े अलग होकर तैरते हुए आगे बढ़ते हैं। इन टुकड़ों को हिमशिला कहते हैं। बर्फ पानी पर इसलिए तैरती है क्यों कि वह पानी से हल्की होती है।
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