26 Apr 2024, 17:09:12 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

हर भूकंप के बाद वैज्ञानिक और झटकों की चेतावनी जारी कर देते हैं। लेकिन एक बार भूकंप आ जाने के बाद धरती क्यों बार-बार थर्राती है और क्या हमेशा ही ऐसा होता है?
क्या भूकंप और उसके बाद आने वाले झटकों में कोई फर्क होता है?
मूल रूप से ये झटके भी भूकंप ही हैं। वैज्ञानिक धरती के नीचे होने वाली हलचल को तीन हिस्सों में बांटते हैं। भूकंप से पहले के झटके, मुख्य भूकंप और तीसरा भूकंप के बाद के झटके। हलचल का यह तीसरा चरण भूकंप के कुछ दिन बाद महसूस किया जा सकता है। लेकिन कई मामलों में बहुत महीने गुजर जाने के बाद ये झटके महसूस होते हैं।
बार-बार झटके क्यों आते हैं?
जिन इलाकों में भूकंप का खतरा अधिक होता है, वहां सैकड़ों सालों में धरती की निचली सतहों में तनाव बढ़ने लगता है। ऐसा टेक्टॉनिक प्लेटों के अपनी जगह से हिलने के कारण होता है। लेकिन तनाव का असर अचानक ही नहीं, बल्कि धीरे धीरे होता है। पहले लंबे समय तक धरती शांत रहती है, फिर कुछ समय के लिए परतें हिलने लगती हैं। और यही प्रक्रिया बार-बार दोहराई जाती है। किसी भी महाद्वीप की प्लेट के लिए यह एक बहुत ही तेज गति है। हिमालय की बढ़ती ऊंचाई का भी यही कारण है
धरती के नीचे हरकत
धरती की ऊपरी सतह सात टेक्टॉनिक प्लेटों से मिलकर बनी है। जहां भी ये प्लेटें एक दूसरे से टकराती हैं वहां भूकंप का खतरा पैदा हो जाता है। नेपाल में यूरेशियन प्लेट और इंडियन प्लेट एक दूसरे पर दबाव डालती हैं।
भूकंप के बाद के झटके कितने खतरनाक हो सकते हैं?
मूल रूप से भूकंप से पहले के झटके इतने हल्के होते हैं कि अधिकतर वे महसूस ही नहीं होते। इसके विपरीत भूकंप के बाद के झटके लगभग भूकंप जितने ही तीव्र हो सकते हैं।
क्या भूकंप का अनुमान नहीं लगाया जा सकता?
भूवैज्ञानिकों की दृष्टि से यहां एक बड़े भूकंप की आशंका बनी रहती है लेकिन यह भूकंप आज आएगा या कल या फिर अगले साल, वैज्ञानिक यह इसकी स्थिति नही बता सकते। भूकंप की ही तरह, उसके बाद आने वाले झटकों का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता। ना ही इसका समय निर्धारित किया जा सकता है और ना जगह। बस, एक भीषण भूकंप के बाद भीषण झटकों का आना तय है।

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