21 Nov 2024, 14:46:48 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

भारत एक पंपराओं का देश है, यहां व्यक्ति जन्म से लेकर मृत्यु तक पंरपराओं का पालन करता है। इसी में एक महत्वपूर्ण परंपरा है बच्चों का मुंडन संस्कार। ये मनुष्य जीवन के 16 संस्कारों में से एक संस्कार है। सभी धर्म और जातियों में अलग-अलग परंपराएं होती हैं। इन सभी रीति-रिवाजों को सभी श्रद्धा से पूरा भी करते हैं। हिंदू धर्म में हर कोई अपने रीतियों के अनुसार जन्म और मरण की संस्कारों को करता है। इसी तरह मुंडन की पंरपरा भी सदियों से चली आ रही है। बच्चे के जन्म के पश्चात मुंडन करवाना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि बच्चे के सिर पर जन्म के समय जो बाल होते हैं वो अशुद्ध होते हैं और उनमे कई तरह के किटाणु होते हैं, इसलिए बच्चे का मुंडन करवाया जाता है। हर किसी की मुंडन के पीछे अपनी मान्यताएं होती हैं। ये सिर्फ धार्मिक कारणों से नहीं वैज्ञानिक कारणों से भी किया जाता है। ये संस्कार पवित्र स्थलों पर अधिक किया जाता है। माना जाता है इसके बाद बच्चे को किसी तरह की बुरी नजर नहीं लगती है।
 
आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में मुंडन संस्कार को क्यों सम्मलित किया गया है। हिंदू धर्म में चार वेद होते हैं जिनमें से एक वेद यजुर्वेद के अनुसार बच्चों का मुंडन संस्कार बल, आरोग्य तथा तेज को बढ़ाने के लिए किया जाना महत्वपूर्ण संस्कार है। इसके साथ ही शास्त्रीय और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शिशु के दिमाग को तेज करने के लिए, बुद्धि को बढ़ाने के लिए और गर्भवस्था की अशुद्धियों को दूर करने के लिए मुंडन किया जाता है। वैसे तो मुंडन संस्कार किसी तीर्थस्थल पर ही कराया जाता है क्योंकि उस स्थल का वातावरण का लाभ नवजात को मिलता है और उसके मन में सुविचारों की उत्पत्ति हो पाए।
 
इसके साथ ये भी मान्यता है कि जब बच्चा गर्भ में होता है तो उसके सिर पर कुछ बाल होते हैं जिनमें बहुत से किटाणु और बैक्टीरिया लगे होते हैं। ये बैक्टीरिया किसी साधारण तरह से नहीं निकलते हैं। इसलिए भी बच्चों का मुंडन करवाया जाता है। लोगों की मान्यता ये भी है कि मुंडन करवाने के बाद सिर और शरीर से धूप सीधा शरीर में जाती है जिससे विटामिन डी मिलता है। धूप से शरीर की कोशिकाएं जागृत होकर नसों में रक्त का परिसंचरण ठीक से कर पाती हैं।
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