03 Dec 2024, 23:36:00 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

तपती गर्मी के बाद होने वाली बारिश को मानसून कहा जाता है। तुम तो जानते हो कि बारिश के लिए बादलों वाला पानी होना जरूरी है, तभी तो बारिश होगी। तुमने यह भी सुना होगा कि इस बार मानसून देर से आएगा या बारिश कम होगी। गर्मी से जन-जीवन बेहाल है, कड़ी धूप और पसीने वाली इस गर्मी से तो बारिश का मौसम ही निजात दिला सकता है। पशु, पक्षी, खेत सभी को मानसून यानि बरसात का इंतजार रहता है। तुम्हें भी बरसात का मौसम अच्छा लगता होगा। बारिश में भीगना और फिर चारों ओर फैली हरियाली देखकर मन कितना खुश हो उठता है।
 
मानसून यानी बारिश का मौसम
हिंद महासागर और अरब सागर से भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर आने वाली हवाओं को मानसून कहते हैं। ये हवाएं पानी वाले बादल ले आती हैं, जो भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश यानी भारतीय उपमहाद्बीप में बरसते हैं। मानसून ऐसी मौसमी पवन है, जो दक्षिणी एशिया क्षेत्र में जून से सितंबर तक चलती रहती है। यानि भारत में चार महीने बारिश का मौसम होता है। आम हवाएं जब अपनी दिशा बदल लेती हैं तब मानसून आता है। केरल के तट से सैकड़ों मील दूर मानसूनी हवाएं अपने साथ नमी लेकर आती हैं, जो धीरे-धीरे भारतीय महाद्बीप की ओर बढ़ती हैं। मानसूनी हवाएं ठंडे से गर्म क्षेत्रों की तरफ बहती हैं तो उनमें नमी की मात्रा बढ़ जाती है, जिस कारण बरिश होती है।
 
कैसे होती है बारिश
हिंद महासागर और अरब सागर की मानसूनी हवाएं हिमालय की ओर बढ़ने से पहले भारत के दक्षिण-पश्चिमी  तट पर पश्चिमी घाट से टकराती हैं तो केरल और दक्षिण भारत में पहले बारिश होती है। फिर इनमें से बची हुई मानसूनी हवाएं हिमालय की ओर बढ़ती हैं और फिर उत्तर-पूर्व भारत में भारी बारिश करती हैं। इस तरह पूरे भारत में बारिश का मौसम आ जाता है।
 
ये सिलसिला जून से सितंबर तक चलता रहता है। भारत की जलवायु गर्म है, इसलिए यहां पर दो तरह की मानसूनी हवाएं चलती हैं। जून से सितंबर तक चलने वाली मानसूनी हवाएं दक्षिणी पश्चिमी मानसून कहलाती हैं, जबकि ठंडी में चलने वाली मानसूनी हवा, जो मैदान से सागर की ओर चलती है, उसे उत्तर-पूर्वी मानसून कहते हैं। यहां पर अधिकांश वर्षा दक्षिण-पश्चिम मानसून से ही होती है।
 
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