यह तो आपने बहुत बार देखा होगा कि आपको यदि काफी देर तक पानी में काम करना पड़े तो आपके हाथ व पैरों की अंगुलियों में सिलवटें पड़ जाती हैं। ये सिलवटें पानी से बाहर आने पर कुछ समय तक ही रहती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार दरअसल हमारी त्वचा के भीतर एक स्वतंत्र तंत्रिका तंत्र काम करता है जो देर तक त्वचा के पानी के संपर्क में रहने पर नसों को सिकोड़ देता है जिससे त्वचा पर सिलवटें पड़ जाती हैं। यही स्वतंत्र तंत्रिका तंत्र ही सांस, धड़कन और पसीने को भी नियंत्रित करता है। ऐसा ही पैरों में भी होता है। भीगे पैरों के तलवे भी लहरदार से हो जाते हैं। यह जिंदा रहने के लिए हमारे शरीर का जबरदस्त इंतजाम है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी तक माना जाता था कि हाथों के काफी देर तक गीले रहने से त्वचा के अंदर से पानी निकलने लगता है जिससे नमी की कमी हो जाती है और अंगुलियों के सिरों में सिलवटें आ जाती हैं पर, ऐसा नहीं है इस रिसर्च में साबित हुआ है कि सिलवटें हाथ व पैरों की पकड़ मजबूत रखती हैं। डॉक्टर टॉम श्मलडर्स का कहना है कि हाथ या पैर में पानी के कारण पड़ने वाली सिलवटें गीली परिस्थितियों में बेहतर ग्रिप देती हैं। पुराने समय में जाएं तो हाथों की अंगुलियों की इन्हीं झुर्रियों ने शायद पानी और गीले इलाकों में खाना खोजने में हमारी मदद की थी और पानी के कारण पैरों पर बनी झुर्रियों की वजह से ही शायद हमारे पुरखे बारिश में भी आसानी से चल फिर सके।