- केपी सिंह
इंदौर। प्रदेशभर में गर्मी तेवर दिखाने लगी है। इसका असर भी दिखने लगा है और तालाब के साथ ही तेजी से भू-जलस्तर में गिरावट आई है। ऐसे में सरकार ने एक और फरमान जारी कर दिया है कि प्राइवेट टैंकर्स नहीं चलाए जाए। यह भी स्पष्ट कहा कि किसी भी परिस्थिति में निकाय द्वारा परिवहन की व्यवस्था नहीं का जाए। बावजूद इसके इंदौर में 120 प्राइवेट और निगम के 80 टैंकर दौड़ रहे है और जैसे-जैसे डिमांड बढ़ रही है प्राइवेट टैंकर की संख्या में भी तेजी से इजाफा हो रहा है।
मतलब, इंदौर में सरकार का फरमान नहीं चलता है या फिर यहां पर आदेश को नहीं माना जाता है। क्योंकि हाल में हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में प्रमुख सचिव द्वारा दिए आदेश का पालन करने की बात कही गई। यह स्थिति इंदौर ही नहीं, बल्कि प्रदेश के ज्यादातर नगरीय निकायों की है, जहां पर पानी की किल्लत को ध्यान में रखते हुए टैंकर्स दौड़ना शुरू हो गए हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि बगैर टैंकर्स के पानी कैसे पहुंचाया जाएगा। क्योंकि इंदौर में 70 फीसदी स्थानों पर नर्मदा की लाइन है, जबकि 30 फीसदी स्थानों पर बोरिंग, कुएं और टैंकर्स के भरोसे है।
इंदौर में तेजी से घट रहा भू-जलस्तर
शहर में भू-जलस्तर तेजी से घट रहा है। इससे कई स्थानों पर बोरिंग जवाब देने लगे है। इसके अलावा तालाबों ने भी साथ छोड़ना शुरू कर दिया गया है। लिम्बोदी, पीपल्याहाना, छोटी बिलावली तालाब पूरी तरह से सूख चुका है और जमीन में दरारें उभर आई है। ऐसे में टैंकर्स के भरोसे नगर निगम है और जनता को पानी उपलब्ध करा रहा है। अब अगर प्रमुख सचिव का आदेश माने तो दौड़ रहे सारे टैंकर्स को बंद करना पड़ेगा। क्योंकि सरकार का स्पष्ट फरमान जो आ गया है। हालांकि अधिकारियों द्वारा वरिष्ठ स्तर पर चर्चा शुरू कर दी गई है और इंदौर की स्थिति से भोपाल में बैठे अफसरों को अवगत कराया जा रहा है, ताकि टैंकर्स के फरमान से इंदौर को अलग कर दिया जाए।
मुख्यमंत्री को भी किर दिया गुमराह, बताया रोजाना देंगे पानी
मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव द्वारा नगरीय निकायों में जल प्रदाय की समीक्षा की गई थी। इसमें जानकारी दी गई कि वर्तमान में नौ नगरीय निकाय ऐसी है, जिसमें एक दिन छोड़कर जल प्रदाय किया जा रहा है, जिसमें प्रगति करते हुए 5 निकायों द्वारा प्रतिदिन जल प्रदाय की व्यवस्था कर दी गई है। साथ ही शेष 4 निकाय द्वारा 31 मार्च 2019 तक प्रतिदिन जल प्रदाय की व्यवस्था कर ली जाएगी। ऐसे में कई शहरों में एक दिन छोड़ एक दिन पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। हालांकि इंदौर में इक्का-दुक्का स्थान पर पायलेट प्रोजेक्ट प्रतिदिन पानी देने के दावे किए जा रहे है। लेकिन प्रदेश स्तर पर मुख्यमंत्री को गुमराह कर वाहवाही लूटने का नया खेल शुरू हो गया है और बोला जा रहा है रोजाना पानी उपलब्ध करा रहे हैं। कमाल तो यह है कि 31 मार्च तक रोजाना पानी उपलब्ध कराने के दावे कर दिए गए थे, लेकिन अब तक एक दिन छोड़ एक दिन भी पर्याप्त पानी के लाले पड़े हुए है।
यह है प्रमुख सचिव का फरमान
- नगरीय निकायों को निर्देशित किया कि पेयजल प्रदाय में निकाय द्वारा परिवहन की व्यवस्था नहीं की जाए। प्राइवेट टैंकर नहीं चलाए जाए।
- सार्वजनिक नल एवं हैंडपंप के माध्यम से पेयजल आपूर्ति की जाए। साथ ही ग्रीष्म ऋतु में प्रतिदिन पेयजल प्रदाय करने में किसी भी प्रकार की समस्या उत्पन्न न हो।
- निकाय में उपलब्ध टैंकर्स भी अति आवश्यक होने पर ही उपयोग करें।
- पाइप मोटर या अन्य मशीनरी भी आवश्यकता अनुसार अनुमति प्रदाय की जाएगी।
- आसपास उपलब्ध जल स्त्रोतों का सर्वे कराकर अधिग्रहण किया जाए तथा यथासंभव पाइप लाइन से पेयजल प्रदाय किया जाए।
- प्रदेश की नगरीय निकायों के स्वयं के कितने टैंकर है डाटा प्रदाय किए जाने के लिए सुरेश सेजकर अधीक्षण यंत्री को निर्देशित किया। प्रतिदिन पेयजल प्रदाय किए जाने के संबंध में नगरीय निकायों की निरंतर मॉनिटरिंग किए जाने के लिए भी निर्देशित किया गया।
- मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव द्वारा नगरीय निकायों में जल प्रदाय की समीक्षा की गई, जिसमें जानकारी दी गई की वर्तमान में नौ नगरीय निकाय ऐसी है, जिसमें एक दिन छोड़कर जल प्रदाय किया जा रहा है, जिसमें 5 निकायों द्वारा प्रतिदिन जल प्रदाय की व्यवस्था कर दी गई है। 4 निकाय द्वारा 31 मार्च तक प्रतिदिन जल प्रदाय करेंगे।