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बोरिंग के भरोसे हैं तो हो जाएं सावधान गर्मी में टूटेंगी ‘सांसें’

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Mar 29 2019 12:41PM | Updated Date: Mar 29 2019 12:41PM
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- केपी सिंह 
इंदौर। शहर में निगम की बोरिंग पांच हजार है, जबकि निजी बोरिंगों की संख्या 50 हजार से ज्यादा है। शहर की 70 फीसदी आबादी नर्मदा के भरोसे है तो बची 30 फीसदी आबादी बोरिंग के भरोसे। 30 लाख से ज्यादा जनसंख्या वाले शहर में गर्मी के दस्तक देते ही संकट भी शुरू हो गया है। अफसर खुद स्वीकार कर रहे जो भी बोरिंग के भरोसे है वो सावधान हो जाए। क्योंकि अब गर्मी बढ़ने के साथ ही बोरिंग की सांसें टूटेंगी। 
शहर का भू-जलस्तर 17885 करोड़ लीटर है, जबकि उसका दोहन 26395 करोड़ लीटर से भी ज्यादा किया जा रहा है।
 
आलम यह है कि तालाब में पानी नहीं बचा है तो खिलाड़ी उभर गए है और तालाब को खेल के मैदान में तब्दील कर दिया है। रीजनल पार्क स्थित पीपल्यापाला की क्षमता 22 फीट है, जबकि उसमें पानी दूर-दूर तक दिखाई नहीं देता है। तेजी से शहर के आसपास के तालाब साथ छोड़ रहे है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बोरिंग की सांसें भी कितनी तेजी से टूटेगी और शहर में भीषण जलसंकट पैदा हो जाएगा। हालांकि अधिकारियों ने तो ‘बला’ टालने के उद्देश्य से टैंकरों को लेकर खानापूर्ति शुरू कर दी है। मतलब, अब कमीशनखोरी का खेल फिर से शुरू हो जाएगा।
 
कई कॉलोनी के बोरिंग अभी से जवाब देने लगे 
शहर की कई कॉलोनियों के बोरिंग जवाब देने लगे है। इनका पानी तेजी से गिरने लगा है और कुछ देर गर्म हवा निकलती है तो कुछ देर ही पानी मिल पाता है जो पर्याप्त नहीं है। सूत्रों की मानें तो सुखलिया, श्याम नगर, गौरी नगर, बाणगंगा, रामानंद नगर, दामोदर नगर, राज नगर, खजराना, जय भवानी नगर, हुकुमचंद कॉलोनी, गोविंद कॉलोनी बाणगंगा, संगम नगर, कुशवाह नगर, सांवरिया नगर रिंग रोड सहित ढेरों स्थानों पर तेजी से बोरिंग जवाब देते जा रहे है। इसके अलावा शहर के आसपास बायपास, देवास नाका, राऊ, केट रोड सहित अन्य टाउनशिप के बोरिंग भी जवाब देने लगे है। कमाल तो यह है कि पानी की जिम्मेदारी संभालने वाले प्रभारी एडीशनल कमिश्नर संदीप सोनी न तो पार्षदों और न ही जनता का फोन उठाते है। इससे जनता और जनप्रतिनिधि में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। 
 
समस्या आएगी तो करेंगे दूर  
शहर में नर्मदा टंकी के माध्यम से पानी सप्लाय किया जाता है। इंदौर में रोजाना 430 एमएलडी मिल रहा है। पिछले साल जो स्थिति बनी थी, उसमें अब सुधार है। जहां पर नर्मदा सप्लाय है, वहां पर कोई समस्या नहीं आएगी। लेकिन जिन स्थानों पर बोरिंग है, उन स्थानों पर समस्या आएगी। इस बार टैंकरों का पूरी तरह से उपयोग हो, इसीलिए हमने हर टंकी पर हाईड्रेंट बनाया है। और गलत तरीके का उपयोग न हो, इसलिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए है। जल वितरण में समस्या आती है तो उसे हम दूर करेंगे। 
 
-संदीप सोनी प्रभारी एडीशनल कमिश्नर, नगर निगम 
 
हर टंकी को बनाएंगे हाइड्रेंट जनता की होगी आफत 
निगम द्वारा जो प्लानिंग तैयार की गई है, उसमें हर टंकी को हाइड्रेंट बनाने का निर्णय लिया गया है। इससे व्यवस्था बनाए रखने में तो सफलता मिल जाएगी, लेकिन टंकी से होने वाला सप्लाय बुरी तरह से चरमरा जाएगा। निगम अफसर ने यह प्लानिंग भी बगैर सोचे-समझे बना ली है कि हर टंकी को हाइड्रेंट में तब्दील कर दिया जाए, ताकि टैंकर लगते ही वो तत्काल भरा जाएंगे। इससे कॉलोनियों में होने वाला पानी सप्लाय व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो जाएगी और टैंकर माफियाओं की चांदी हो जाएगी। क्योंकि टंकियों से भी पानी सप्लाय ठीक से नहीं हो पाएगा तो टैंकरों की डिमांड बढ़ेगी।
 
हर साल हाइड्रेंट बनाने को लेकर बड़ी प्लानिंग होती थी और करीब 10 से 12 टंकियों को ही लिया जाता है, ताकि उससे जुड़ी लाखों जनता ज्यादा प्रभावित न हो और टैंकरों को भरने में आसानी हो, लेकिन नई व्यवस्था के तहत अब 70 पानी की टंकियों को हाइड्रेंट में तब्दील किया जा रहा है। एक टंकी की क्षमता 30 लाख लीटर है, जिससे शहर की 20 लाख से ज्यादा जनता जुड़ी है। ऐसे में हाइड्रेंट बनने का असर भी गर्मी में शहर की जनता के सामने होगा। 
 
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