भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने दिल्ली में इलेक्ट्रिक बसों की जरुरत और इसे लेकर भारत और यूएस बीच सहयोग की चर्चा करते हुए बताया कि भारत में इलेक्ट्रिक सार्वजनिक परिवहन की उपलब्धता को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत मिलकर 10,000 इलेक्ट्रिक बसें देश में उतारेंगे। भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने बताया कि ये बसें भारत में ही बनाई जाएंगी। उन्होंने कहा कि भारत की सड़कों पर और बसें आएं उसके लिए अमेरिकी सरकार, भारत सरकार के साथ मिलकर काम कर रही है।
जून 2023 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका की तीन दिवसीय राजकीय यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच एक भुगतान सुरक्षा तंत्र बनाने की योजना पर सहमति बनी थी, जो भारत में 10,000 मेड-इन-इंडिया इलेक्ट्रिक बसों की तैनाती की सुविधा प्रदान करेगी। इससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने, सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में विविधता लाने में भारत के केंद्रित प्रयासों को बढ़ावा मिलेगा। भुगतान सुरक्षा तंत्र के निर्माण से भारत को अपने परिवहन क्षेत्र को डीकार्बोनाइज करने की प्रतिबद्धता हासिल करने और 2030 तक 40 प्रतिशत ई-बस प्रवेश और 2070 तक शुद्ध परिवहन के लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलेगी।
भारत सरकार, राष्ट्रीय ई-बस कार्यक्रम (एनईबीपी) के तहत, 12 अरब डॉलर की अनुमानित लागत से देश भर में 50,000 इलेक्ट्रिक बसों के बेड़े की योजना पर काम कर रही है। 16 अगस्त को भारत ने चार्जिंग और संबंधित बुनियादी सुविधाओं के साथ एक दशक में 169 शहरों में 10,000 इलेक्ट्रिक बसें तैनात करने के लिए लगभग 580 अरब रुपये (7 बिलियन डॉलर) की योजना को मंजूरी दे दी। सूचना मंत्री अनुराग ठाकुर ने एक ब्रीफिंग में कहा कि संघीय सरकार सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल के आधार पर योजना की लागत का 200 अरब रुपये का वित्तपोषण करेगी। बता दें कि अप्रैल 2015 में FAME योजना की शुरुआत के बाद से मार्च 2023 तक देश में पंजीकृत 349,726 बसों में से केवल 4,057 बसें (1.16%) इलेक्ट्रिक हैं।