संयुक्त राष्ट्र। अपनी बात कहने के लिए दुनियाभर में लोग तरह तरह की भाषाओं और बोलियों का इस्तेमाल करते हैं। पशु, पक्षी और परिंदे भी अलग अलग तरह की आवाजें निकालकर आपस में संवाद करते हैं, लेकिन दुनिया का एक हिस्सा ऐसा है, जहां लोग सीटी बजाकर अपनी बात कहते हैं। संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक एजेंसी ने पिछले बरस तुर्की के एक हिस्से में बोली जाने वाली बर्ड लैंग्वेज को अपनी धरोहर सूची में शामिल किया और इसके संरक्षण की जरूरत बताई, जिसके बाद पूरी दुनिया का ध्यान इस अनोखी भाषा की ओर आकर्षित हुआ।
उत्तरी तुर्की में बोली जाती है ये भाषा
उत्तरी तुर्की के गिरेसुन प्रांत के गांवों में रहने वाले करीब दस हजार लोग आज भी इस बेहद खूबसूरत भाषा को जीवित रखे हुए हैं। यूनेस्को ने इस बेहद सुरीली भाषा को अपनी हेरिटेज सूची में शामिल करने के मौके पर जारी एक विज्ञप्ति में बताया कि ऊंची-ऊंची दुर्गम पहाड़ियों वाले इन इलाकों में रहने वाले लोग अपनी बात को दूर तक पहुंचाने के लिए सीटी के जरिए संवाद करते हैं।
मोबाइल फोन के बढ़ते इस्तेमाल से इस बोली को खतरा
एक जमाने में ढोल बजाकर अपनी आवाज पहुंचाने का चलन हुआ करता था। लेकिन आज संचार के आधुनिकतम माध्यमों के बीच काला सागर के तट पर बसे पर्वतीय इलाके में सीटी बजाकर छोटे-छोटे संदेश दूर तक पहुंचाने की इस खूबसूरत बोली को बचाने की कोशिश हो रही है। यूनेस्को का कहना है कि मोबाइल फोन का बढ़ता इस्तेमाल पहाड़ी इलाकों में तीन से पांच किलोमीटर से अधिक दूर से भी सुनाई देने वाली हवा में गूंजती इस बोली का सबसे बड़ा दुश्मन है, लेकिन तरह तरह के उपाय करके इस धरोहर के संरक्षण का प्रयास किया जा रहा है।
बोली को जिंदा रखने के लिए किए जा रहे हैं कई प्रयास
लोग इस बोली को विश्व धरोहर सूची में शामिल किए जाने से बहुत उत्साहित हैं और बर्ड लैंग्वेज सांस्कृतिक एसोसिएशन के जरिए तरह-तरह के उपायों से इसे संरक्षित रखने की कोशिश की जा रही है। जिला प्रशासन ने 2014 से स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को यह बोली सिखाने की व्यवस्था की है।
समय समय पर बर्ल्ड लैंग्वेज उत्सवों का आयोजन करके लोगों को यह भाषा सीखने के लिए प्रेरित किया जाता है। एक समय में पर्वतीय इलाकों में रहने वालों के लिए संवाद करना मुश्किल होता होगा। घर से निकले व्यक्ति को अगर किसी कारणवश देर हो जाए तो वह कैसे बताए कि वह सुरक्षित है, पहाड़ी के दूसरी तरफ रहने वालों को कोई संदेश देना हो तो क्या करें, कोई भटक गया हो तो अपनी मंजिल तक कैसे पहुंचे, कोई आपदा हो तो बचाव के लिए कैसे पुकारें? इन तमाम सवालों का एक आसान सा जवाब था सीटी बजाकर बोली जाने वाली यह अनोखी भाषा।