हरदोई। उत्तर प्रदेश के हरदोई में एक शिक्षक को अजीब सा शौक है इस शौक ने शिक्षक को सांपों का दोस्त बना दिया और वह अब सांपों के संरक्षण के लिए मुहिम चला रहा हैं।
हरदोई के कोरिया गांव के मजरा मढ़िया निवासी आचार्य शैलेंद्र राठौर प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने के लिए सांपों की देखरेख करते हैं और जहरीले साँपो का संरक्षण कर उनको बचाने की मुहिम में लगे हुए हैं। उनकी मुहिम का ही परिणाम है कि हरदोई के कुछ गांवों में लोग सांप दिखने पर उसे मारते नहीं है बल्कि शैलेंद्र को फोन कर बुलाते हैं।
शिक्षक अपने परिवार में तीन भाइयों में सबसे बड़ा है। शैलेन्द्र बच्चों को पढ़ाने के साथ ही अपने सांपों को पालने के शौक को भी बखूबी पूरा करते हैं। उनके इस शौक ने इलाके में उनकी अलग ही पहचान बता दी है।
शैलेन्द्र को सांपों को संरक्षित करने का शौक बचपन में ही लग गया था, जब गांव में उनके मकान के पास एक सांपों का जोड़ा निकला तो उन्होंने उनमें से एक सांप को मार दिया जबकि दूसरा सांप वहीं उस मरे साँप के पास सिर झुका के बैठ गया। दूसरे सांप का इस प्रकार का समर्पण भाव देखकर वे काफी प्रभावित हुए और उन्होंने उसी दिन से अपना जीवन इन जहरीले साँपो के लिए समर्पित कर दिया।
शैलेंद्र 12 साल की उम्र में पहला साँप पकड़ा और घरवालों को बिना बताए ही अपने पास रख लिया। उसी दिन से इनको सांपों के साथ रहने का शौक हो गया। जैसे ही सांप निकलने की सूचना मिलती है शैलेंद्र वहीं पहुंच जाते हैं और बड़ी आसानी से सांप को अपने कब्जे में ले लेते हैं। ऐसा भी नहीं है कि शैलेंद्र पर सांपों ने हमला नहीं किया। ब्लैक कोबरा से लेकर रसेल वाइपर तक उन्हें दो बार काट चुके हैं। जिसके निशान आज भी उसके हाथों पर मौजूद हैं लेकिन सांपों को संरक्षित करने का शौक ही था कि वह मेडिकल ट्रीटमेंट के बाद सही हो गए। इसके बाद से यह जहरीले सांपों को पकड़ने में थोड़ी सावधानी जरूर बरतने लगे।