मथुरा। भगवना कृष्ण की नगरी मथुरा में होली के त्योहार अलग-अलग परंपराओं के साथ मनाया जाता है। इन्हीं में से एक परंपरा है होली की आग से पंडों का निकलना। यह परंपरा मथुरा के दो गांवो में मनाई जाती है। यह इतनी चमत्कारिक होती है कि इसे देखकर दर्शक दांतों तले उंगली दबाने लगते हैं।
आग की ये होली भक्त का भगवान के प्रति समर्पण का इम्तिहान है। मथुरा के दो गावों जटवारी और फालेन में भगवान विष्णु की कृपा से इन पंडों के लिए होली की आग बर्फ सी शीतल बन जाती है। सामान्य तौर पर होली जलने का मुहूर्त पंडित बताते हैं, लेकिन इन गांवों में मुहूर्त पहले से नहीं बताया जाता एवं पूजन के समय ही पंडा होली में आग लगाने के लिए कहता है।
पूर्व प्रधान डॉ. रामहेत के अनुसार जटवारी एवं फालैन गांव छाता तहसील में हैं। दोनो गावों के बीच की दूरी 15 किलोमीटर से भी कम है। दोनों ही गावों में राष्ट्रीय राजमार्ग दो पर मथुरा एवं दिल्ली के बीच छाता होकर शेरगढ़ जाना होगा। वहां से इन दोनों गावों में पहुंचा जा सकता है। दूसरा रास्ता कोसी होकर इन गांवो को जाता है। छाता होकर जाने में जहां जटवारी गांव पहले पड़ेगा वहीं कोसी होकर फालैन गांव पड़ेगा। उन्होंने बताया कि इन गांवों में प्रह्लाद कुंड में डुबकी लगाते ही होली से निकलने वाले पण्डों में भक्त प्रहलाद की तरह भगवान विष्णु की कृपा की वर्षा होने लगती है और इन पंडो को होली की आग बर्फ की तरह शीतल लगने लगती है।
छाता तहसील के दो गांवों फालैन और जटवारी अपनी अनूठी होली के कारण मशहूर हैं यहां पर जिस प्रकार होली की आग से होकर अलग अलग समय में दो पंडे निकलते हैं वह भगवत कृपा का जीवन्त नमूना है।