पानसेमल। क्षेत्र के ग्राम अलखड़ में महादेव उंबरा नदी के तट पर बसे हैं। यहां त्रिवेणी संगम है। इस तट पर सैकड़ो साल पुराना बंधारेश्वर महादेव मंदिर है। इस मंदिर की खासियत है कि यहां पर हर साल सावन माह में सवा लाख बिल्व पत्र चढ़ाए जाते हैं। बताया जाता है कि सतयुग में भगवान श्रीराम वनवास के दौरान रामगढ़ में विश्राम के लिए ठहरे थे। उस दौरान यहां पर शिवलिंग की स्थापना की गई थी तब से यह मंदिर क्षेत्र के लोगों को लिए अटूट आस्था का केंद्र बना हुआ है। यहां पर महाशिवरात्रि पर तीन दिवसीय मेले का आयोजन भी किया जाता है। वहीं कावड़यात्रियों द्वारा मां नर्मदा से जल लाकर अभिषेक किया जाता है।
रियासतकालीन है जलेश्वर मंदिर
नगर से 3 किमी दूर स्थित ग्राम जलगोन में जलेश्वर शिव मंदिर के नाम से प्रसिद्घ शिवलिंग का इतिहास भी काफी पुराना है। रियासतकालीन इस मंदिर में तत्कालीन राजा द्वारा शिवलिंग की स्थापना की गई थी। उनके द्वारा प्रतिदिन शिवलिंग की पुजा-अर्चना की जाती थी। सावन मास में नाग देवताओं के भी दर्शन होते है। इस तरह से पानसेमल में मनोकामनेश्वर शिव मंदिर स्थित है। बारिश कम या नही होने पर यहां पर स्थापित शिवलिंग को पानी में डूबाया जाता है। जिससे बारिश होने लगती है। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि ऐसा कई बार हुआ है।