एक समय था, जब बच्चे धूल-मिट्टी और कीचड़ में ही खेला करते थे। लेकिन आज के आधुनिक समय में बच्चे घर के अंदर इंडोर गेम्स तक ही सीमित हो गए हैं। तुम जैसे तमाम बच्चों को आउटडोर गेम्स के लिए प्रेरित करने और प्रकृति के करीब लाने के लिए इंटरनेशनल मड डे की शुरूआत हुई। हालांकि सबसे पहले वर्ष 2008 में नेपाल और आॅस्ट्रेलिया में बिष्णु भट्ट और जिलियन मकओलिफ ने कीचड़ में बच्चों को खेलने के लिए इस तरह के त्योहार की शुरूआत की। इसे दुनियाभर में मनाया जाने लगा। कीचड़ में खेलने के बारे में कुछ रोचक जानकारी। कैसे फायदेमंद है कीचड़ में खेलना
रोग प्रतिरोधी क्षमता होगी बेहतर
एक सीमा में कीचड़ और धूल-मिट्टी में खेलने से बच्चों का इम्यून सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बेहतर होती है। तुम हफ्ते में एक-दो बार धूल-मिट्टी या कीचड़ में खेल सकते हो। कीचड़ में खेलने से अस्थमा और धूल से एलर्जी जैसी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। अगर इससे ज्यादा खेलोगे तो तुम्हें परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
बढ़ती है आंखों की रोशनी
कई रिसर्च में यह पाया गया है कि इंडोर गेम्स खेलने वाले बच्चों के देखने की क्षमता कमजोर होती है। उन्हें जल्द चश्मा लग जाता है, जबकि आउटडोर गेम्स खेलने वाले बच्चों की दृष्टि ज्यादा बेहतर होती है। इसलिए धूल-मिट्टी की परवाह किए बगैर क्रिकेट, फुटबॉल, कबड्डी, हॉकी, बैडमिंटन जैसे आउटडोर गेम्स खेलना शुरू कर दो।
दिमागी सेहत के लिए भी सही
धूल-मिट्टी खासकर आउटडोर गेम्स खेलने से बच्चों का दिमागी स्वास्थ्य भी काफी मजबूत होता है। तुम अगर खुले वातावरण में प्रकृति के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताओगे तो इससे तुम स्वस्थ भी रहोगे और तुम्हारा तेजी से विकास होने में भी मदद मिलेगी। बच्चों को ज्यादा खुशनुमा बनाता है कीचड़ में खेलना।