बच्चों आपने मेंढ़क तो देखा ही होगा। इसे अक्सर पानी वाली जगहों कुएं व बावड़ी के पास या पोखरों के आसपास देखा जा सकता है। बाग-बगीचों में भी ये पाए जाते हैं। बरसात के मौसम में तो मेंढ़कों को आसानी से देखा जा सकता है। यह एक उभयचर प्राणी है जो पानी तथा जमीन पर समान रूप से रह सकता है। इसके पीछे के पैर की अंगुलियों में झिल्ली पाई जाती है, जो पानी में तैरने में इसकी मदद करती है। संसार भर में मेंढ़कों की पांच हजार से भी अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। जिनमें कई प्रजातियां तो एकदम अनोखी हैं। दक्षिण अमेरिका में अमेजन नदी के पास चिड़िया के आकार के हरे रंग के मेंढ़क पाए जाते हैं, जो हरे से लाल और लाल से हरे रंग के हो जाते हैं और साइबेरिया के उत्तरी जंगलों में तो ऐसे मेंढक पाए गए जो गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं। वैज्ञानिकों ने इन्हें म्यूटेबल रेन फ्रॉग नाम दिया है। ब्राजील, अर्जेंटीना और एशिया में सींग वाले मेंढ़क पाए जाते हैं और दक्षिण अफ्रीका में ऐसे मेंढ़क देखे जा सकते हैं जो घोड़े की हिनहिनाहट जैसी आवाज निकालते हैं। थाइलैंड में मेंढ़क की एक प्रजाति ऐसी आवाज निकालती है, जैसे बांसुरी बज रही हो। शोधकर्ताओं के मुताबिक पोल्का डॉट्स वाले नए मेंढ़क पर जब पराबैंगनी किरणों से युक्त एक फ्लैशलाइट की रोशनी फेंकी गई तो इससे लाल की जगह गहरे हरे और नीले रंग का प्रकाश परावर्तित होने लगा।