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zara hatke

फेसबुक पर शेयर हो रहा बच्ची का ये खत पढ़के शर्म आनी चाहिए

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 25 2017 1:12PM | Updated Date: Jun 25 2017 1:12PM
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मेरा नाम कनीजा है। हम आपके ऑफिस के पीछे में रहते हैं। कुछ दिन पहले आप हमारे फेसबुक पर शेयर हो रहा बच्ची का ये खत पढ़के शर्म आनी चाहिए। ये देखने कि हम गरीब हैं कि नहीं, ताकि आप हमारी मदद कर सकें। कुछ दिन बाद फिर आप पांच लोगों के साथ हमारे घर आए। हमें राशन दिया। अम्मी, मेरे और भाई के लिए ईद के कपड़े दिए। तस्वीर खिंचवाई और चले गए।

अंकल आपको मालूम है, अम्मी बताती हैं कि मैं जब चार साल की थी, तब मेरे बाबा अल्लाह को प्यारे हो गए थे। बाबा के जाते ही दादी ने अम्मी को मार-मार कर घर से निकाल दिया। उस वक़्त भाई अम्मी के पेट में ही था। और मैं छोटी सी थी। अम्मी दर-दर की ठोकरें खाती रहीं। किसी रिश्तेदार ने भी हमारी मदद न की। अम्मी घर के बर्तन धोतीं, सफाई करतीं, फिर जाकर कुछ पैसे जमा होते, जिससे वो मेरा और अपना पेट भरतीं। अम्मी मेरे सामने तो हमेशा मुस्कुराती रहती हैं।
 
लेकिन मुझे मालूम है। रात को वो छिप-छिपकर रोती हैं और अपना गम हल्का कर लेती हैं। अब में 10 साल की हूं। मैं अम्मी को दिलासा भी नहीं दे सकती कि सब ठीक हो जाएगा। हम गरीब लोग अक्सर ऐसे रोकर ही अपनी जिंदगी का बोझ हल्का किया करते हैं।
 
अम्मी फिर बहुत रो रही थीं। जब आंखों से आंसू सूख गए तो वो सो गईं। मैं उठकर उनके पांव दबाने लगी, ताकि उनको कुछ आराम आ जाए। पिछले साल भी ऐसा ही हुआ था, उन तस्वीरों की वजह से मोहल्ले में सबने हमारा खूब मज़ाक बनाया था। जब हम ईद के कपड़े पहनकर बाहर खेलने गए तो सब हमें भिखारी, भिखारी कहकर तंग कर रहे थे।
 
मुझे मेरी अम्मी से बहुत प्‍यार है। हमारी वजह से उनकी आंखों में आंसू आएं, ये मुझे मंज़ूर नहीं। वैसे भी हम गरीबों की ईद नहीं होती। आप से एक और दरख्वास्त है कि कभी गरीब की मदद करें तो उसे अख़बार में न दिया करें बाद में उसे जो तकलीफ़ उठानी पड़ती है उसका आपको अंदाज़ा नहीं है। अपने सगे रिश्तेदार तक हिकारत की नजरों से देखते हैं। अल्लाह ने आपको दौलत दी है इसमें आपका तो कमाल नहीं, अल्लाह ने हमें फेसबुक पर शेयर हो रहा बच्ची का ये खत पढ़के शर्म आनी चाहिएरीब बनाया है इसमें हमारा कसूर तो नहीं। अपनी दरियादिली का प्रचार करने के लिए गरीबों का मजाक उड़ाया जाता है।
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