तब किसी चेन या रस्सी से रिंग नहीं बनाया जाता था, बल्कि खुले मिट्टी से भरे मैदान में ही बॉक्सिंग के मैच हुआ करते थे, जिसके चारों ओर दर्शक एक गोल घेरे में इकट्ठा हुआ करते थे।
बॉक्सिंग एक पुराना खेल है। कई सौ साल पहले भी इस खेल के शौकीन बहुत मजे से इसे खेलते थे। लेकिन आज से लगभग तीन-चार सौ साल पहले जब यह खेल शुरू हुआ तो इस तरह से नहीं खेला जाता था। तब बॉक्सिंग में इतने नियम-कायदे नहीं होते थे और न ही सुरक्षा का इतना ध्यान रखा जाता था, बल्कि इस खेल को बिना बॉक्सिंग ग्लव्स (दस्ताने) पहने सीधे मिट्टी में खेला जाता था। तब किसी चेन या रस्सी से रिंग नहीं बनाया जाता था, बल्कि खुले मिट्टी से भरे मैदान में ही बॉक्सिंग के मैच हुआ करते थे, जिसके चारों ओर दर्शक एक गोल घेरे में इकट्ठा हुआ करते थे। फिर सन 1743 में जैक ब्रिगटोन नाम के एक बॉक्सर ने बॉक्सिंग रिंग के बीच का एक छोटा सा गोल घेरा यानी रिंग के नाम से चिह्नित किया, जहां बहुत सारे बॉक्सर बॉक्सिंग का प्रत्येक राउंड शुरू होने से पहले एक दूसरे से हाथ मिलाते थे। फिर लगभग सौ साल बाद पहला चौकोर बॉक्सिंग रिंग, पुग्लिस्टिक सोसाइटी द्वारा सन 1838 में दर्शकों के सामने लाया गया। उसका एक खास आकार था। वह रिंग लगभग 24 फुट का था, जिसे दो रस्सियों के सहारे बांधा गया था। वह था पहला पूरा चौरस बॉक्सिंग रिंग।
जमीन से ऊपर बनाए गए बॉक्सिंग रिंग
तब से लेकर आज तक इसके आकार में समय-समय पर काफी बदलाव किये गये और आज के बॉक्सिंग के मैच का रिंग काफी अलग होता है। अब जो रिंग बनाये जाते हैं, वे सीधे जमीन पर नहीं बनाये जाते, बल्कि जमीन से तीन या चार फुट ऊपर उठा कर एक चौरस प्लेटफॉर्म पर बनाये जाते हैं। जो एक रस्सी के साथ चारों ओर टर्न बक्कल की मदद से बंधा होता है। इसमें रेसलिंग रिंग से बस थोड़ा सा फर्क यह होता है कि रेसलिंग रिंग चारों ओर से एक ही रस्सी से बंधा होता है, जबकि बॉक्सिंग रिंग अलग-अलग रस्सियों को चारों ओर से बीच-बीच में जोड़ कर बनाया जाता है। इस रिंग में अंदर लगभग एक इंच की कैनवस की पैडिंग होती है। सभी बॉक्सिंग रिंग्स का आकार एक समान नहीं होता और इनका आकार अलग-अलग हो सकता है।