ढाका। महिलाओं के लिहाज से बांग्लादेश बेहद पिछड़ा माना जाता है। यहां महिलाओं को पर्दे की आड़ में रखकर उनकी स्वतंत्रता और अधिकारों को दबाया जाता है। ऐसे समाज में ‘क्रेजी आंटी’ के नाम से मशहूर मोसम्मत जैसमिन अपनी बुलंद सोच और फौलादी इरादे के दम पर साइकिल रिक्शा चलाकर अपना और परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं। चटगांव की रहने वाली 45 साल की मोसम्मत पांच साल से रिक्शा चलाकर अपने तीन बच्चों को पाल रही है। यह महिला रिक्शा चलाकर रोजाना 600 टका (500) रुपए तक कमा लेती है।
खुद बनी मर्दानी
मोसम्मत ने बताया कि सात साल पहले मेरे पति ने दूसरी शादी कर ली थी। मैं और मेरे तीन बच्चे अकेले पड़ गए। मैं अपने बच्चों को अच्छा खाना और अच्छी पढ़ाई देना चाहती थीं। मोसम्मत ने बताया कि मैंने अपने पड़ोसी से रिक्शा किराए पर लेकर चलाना शुरू किया। शुरुआत में तो लोग मेरा मजाक उड़ाते थे। कई बार तो लोग रिक्शे पर बैठने से भी डरते थे। कई ग्राहक तो रिक्शे पर बैठने के बजाय दो चार बातें सुना जाते, जैसे इस्लाम औरतों को ऐसे खुलेआम सड़कों पर घूमने की इजाजत नहीं देता। लेकिन मोसम्मत ने हार नहीं मानी और मर्दानी बनकर हर मुश्किल का सामना किया।