अलीगढ़। उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है। जब एक लड़की के अधजले शव को पुलिस ने रविवार को कब्जे में लिया। वो चिता पर रखे जाने से पहले जिंदा थी। ये हैरतअंगेज खुलासा सोमवार को उसके पोस्टमॉर्टम के बाद हुआ।
परिजनों द्वारा अंतिम संस्कार के नाम पर पति द्वारा जिंदा ही जलाए जाने के आरोप के बाद पुलिस ने यह कदम उठाया। मृतक महिला 24 वर्षीय रचना सिसौदिया की कुछ दिनों पहले ही शादी हुई थी।
लड़की को ग्रेटर नोएडा के शारदा हॉस्पिटल ने मृत घोषित किया था। लेकिन अब दो डॉक्टरों के पैनल ने कहा कि उस लड़की की मौत जिंदा जलाए जाने के डर से लगे शॉक की वजह से हुई।
शारदा हॉस्पिटल द्वारा जारी किए गए डेथ सर्टिफिकेट के हिसाब से लड़की की मौत रविवार रात को 11.45 पर हुई। उसके आठ घंटे बाद अलीगढ़ में उसका अंतिम संस्कार हो रहा था।
अलीगढ़ में हुए पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उसकी सांस लेने वाली नली में राख पाया गया। जिसका मतलब यह है कि जलाए जाते समय वह जिंदा थी और सांस ले रही थी। पुलिस ने जब रचना को चिता पर से उतारा तब तक वह 70 प्रतिशत जल चुकी थी। पुलिस ने इस मामले में रचना के पति देवेश चौधरी (23) और 11 अन्य के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है।
बुलंदशहर जिले के स्याना कोतवाली क्षेत्र की छात्र रचना सिसौदिया ने 13 दिसंबर-16 को अलीगढ़ के गांव सपेरा भानपुर निवासी प्रेमी देवेश उर्फ देव चौधरी शादी की थी।
यह विवाह आर्य समाज मंदिर, ग्रेटर नोएडा में हुआ था। देवेश के मां-बाप नहीं हैं। रचना का परिवार करीब 12 साल पहले अलीगढ़ के गांव बरौली वासुदेवपुर में बस चुका है।
बीए की छात्रा रचना का यहां ननिहाल था। विवाह बाद दोनों भट्ठा पारसौल में रहने लगे। शनिवार देररात देवेश रचना का शव लेकर गांव पहुंचा था। रविवार तड़के गांव में ही दाह संस्कार शुरू हो गया।
रचना के भाई की सूचना पर हरदुआगंज पुलिस पहुंची और जलती चिता से शव को निकाल लिया। तब तक शव 70 फीसद जल चुका था। रचना के मामा ने देवेश समेत 11 लोगों के खिलाफ दुष्कर्म कर हत्या की रिपोर्ट दर्ज करा दी थी।